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Thursday, February 25, 2016

चालुक्य राजवंश / Chalukya Vansha

चालुक्य राजवंश / Chalukya Vansha


चालुक्य प्राचीन भारत का एक प्रसिद्ध राजवंश था। इनकी राजधानी बादामि (वातापि) थी। अपने महत्तम विस्तार के समय (सातवीं सदी) यह वर्तमान समय के संपूर्ण कर्नाटक, पश्चिमी महाराष्ट्र, दक्षिणी मध्य प्रदेश, तटीय दक्षिणी गुजरात तथा पश्चिमी आंध्र प्रदेश में फैला हुआ था।



परिचय :->
चालुक्य राजवंश कई शाखाओं में विभक्त था। यह मान्यता है कि वे (चालुक्य) सोलंकी वंश के ही समरूप थे, क्योंकि वे भी इस रूढ़ि में विश्वास करते थे कि परिवार का अधिष्ठाता ब्रह्मा की हथेली से उत्पन्न हुआ था। यह भी किबदंती है कि चालुक्यों का मूल वासस्थान अयोध्या था, जहाँ से चलकर उस परिवार का राजकुमार विजयादित्य दक्षिण पहुँचा और वहाँ अपना राज्य स्थापित करने के प्रयत्न में पल्लवों से युद्ध करता हुआ मारा गया। उसके पुत्र विष्णुवर्धन् ने कदंबो और गंगों को परास्त किया और वहाँ अपने राज्य की स्थापना की। वंश की राजधानी बीजापुर जिले में बसाई थी। विष्णुवर्धन् का एक उत्तराधिकारी कीर्तिवर्मन् प्रथम था, जो छठी शताब्दी के उत्तरार्ध में हुआ था। उसने कदंबों, गंगां और मौर्यों को पराजित करके अपने पूर्वजों द्वारा अर्जित प्रदेश में कुछ और भाग मिला लिए। पुलकेशिन् द्वितीय, कुब्ज विष्णुवर्धन और जयसिंह उसके तीन पुत्र थे और छठी शताब्दी के अंत में उसका उत्तराधिकार उसके छोटे भाई मंगलेश को प्राप्त हुआ। मंगलेश ने 602 ई. के पूर्व मलवा के कलचुरीय बुद्धराज को परास्त किया और दक्षिण में कलचुरि राज्य के विस्तार को रोका। उसने अपने पुत्र को राज्य का उत्तराधिकारी बनाने का प्रयत्न किया, किंतु उसके भतीजे पुलकेशिन् द्वितीय ने इसका विरोध किया। फलस्वरूप गृहयुद्ध में मंगलेश के जीवन का अंत हुआ। पुलकेशिन् द्वितीय ने जो 609 में सिंहासन पर बैठा, एक बड़ा युद्ध अभियान जारी किया और मैसूर के कंदब, कोंकण के मौर्य, कन्नौज के हर्षवर्धन और कांची के पल्लवों को परास्त किया तथा लाट, मालवा, गुर्जर और कलिंग पर विजय प्राप्त की। उसके छोटे भाई विष्णुवर्धन् ने अपने लिये आंध्र प्रदेश जीता तो बादामी राज्य में मिला लिया गया। उसने सन् 615- 616 में इस राजकुमार को आंध्र का मुख्य शासक नियुक्त किया और तब उसका शासन राजकुमार और उसके उत्तराधिकारियों के हाथ में रहा, जो पूर्वी चालुक्यों के रूप में प्रसिद्ध थे। संभवत: पुलकेशिन् द्वितीय ने पल्लव नरसिंह वर्मन् से सन् 642 में वुद्ध करते हुए प्राण दिए। उसके राज्यकाल में सन् 641 में एक चीनी यात्री युवानच्वाङ् ने उसके राज्य का भ्रमण किया, जिसके संस्मरणों से उस काल में दक्षिण की आंतरिक स्थिति की झलक प्राप्त हो सकती है। पुलकेशिन् द्वितीय की मृत्यु के पश्चात् 13 वर्ष तक दक्षिण का प्रांत पल्लवों के अधिकार में रहा। 655 ई. में उसके बेटे विक्रमादित्य प्रथम ने पल्लवों के अधिकार से अपना राज्य पुन: प्राप्त कर लिया। उसने अपनी सेनाएँ लेकर पल्लवों पर आक्रमण कर दिया और प्रदेश के एक भाग पर अपना प्रभुत्व स्थापित कर लिया, यद्यपि वह प्रभुत्व बहुत अल्प समय तक ही रहा। उसके प्रपौत्र विक्रमादित्य द्वितीय ने पल्लवों से पुन: बैर ठान लिया और उसकी राजधानी कांची को लूट लिया। विक्रमादित्य द्वितीय के राज्यकालांतर्गत (733-745 ई.) चालुक्य राज्य के उत्तरी भाग पर सिंध के अरबों ने आधिपत्य जमा लिया, किंतु अवनिजनाश्रय पुलकेशी नाम के उसके सामंत ने, जो चालुक्य वंश की पार्श्ववर्ती शाखा का सदस्य था तथा जिसक मुख्य स्थान नौसारी में था, आधिपत्यकारियों को खदेड़कर बाहर कर दिया। उसका पुत्र और उत्तराधिकारी कीर्तिवर्मन् द्वितीय आठवीं शताब्दी के मध्य राष्ट्रकूट दानीदुर्ग द्वारा पदच्युत किया गया


जैसा इससे पूर्व कहा जा चुका है, कुब्ज विष्णुवर्धन्, पुलकेशिन् द्वितीय का छोटा भाई, जो चालुक्य साम्राज्य के पूर्वी भाग का अधिष्ठाता था, 1915-16 ई. में आंध्र की राजधानी बेंगी के सिंहासन पर बैठा। पूर्वी चालुक्यवंशियों को राष्ट्रकूटों से दीर्घकालीन युद्ध करना पड़ा। अंत में राष्ट्रकूटों ने चालुक्यों की बादामी शासक शाखा को अपदस्थ कर दिया और दक्षिण पर अधिकार कर लिया। राष्ट्रकूट राजकुमार गोविंद द्वितीय ने आंध्र पर अधिकार कर लिया और तत्कालीन शासक कुब्ज विष्णुवर्धन् के दूरस्थ उत्तराधिकारी, विष्णुवर्धन चतुर्थ को आत्मसमर्पण के लिये बाध्य किया। विष्णुवर्धन् चतुर्थ अपने मुखिया गोविंद द्वितीय के पक्ष में राष्ट्रकूट ध्रुव तृतीय के विरुद्ध बंधुघातक युद्ध लड़ा और उसके साथ पराजय का साझीदार बना। उसने ध्रुव तृतीय और उसके पुत्र एवं उत्तराधिकारी गोविंद तृतीय के प्रभत्व को मान्यता दे दी। तदनंतर पुत्र विजयादित्य द्वितीय कई वर्षों तक स्वतंत्रता के लिये गोविंद तृतीय से लड़ा, किंतु असफल रहा। राष्ट्रकूट सम्राट् ने उसे अपदस्थ कर दिया और आंध्र के सिंहासन के लिये भीम सलुक्की को मनोनीत किया। गोविंद तृतीय की मृत्यु के पश्चात् उसके उत्तराधिकारी अमोघवर्ष प्रथम के राज्यकाल में विजयादित्य ने भीम सलुक्की को परास्त कर दिया, आंध्र पर पुन: अधिकार कर लिया ओर दक्षिण को जीतता हुआ, विजयकाल में कैंबे (खंभात) तक पहुँच गया जो ध्वस्त कर दिया गया था। तत्पश्चात् उसके प्रतिहार राज्य पर आक्रमण किया किंतु प्रतिहार वाग्भट्ट द्वितीय द्वारा पराजित हुआ। घटनावशात् शत्रुओं में तंग आकर उसे अपने देश की शरण लेनी पड़ी। विजयादित्य द्वितीय के पौत्र विजयादित्य तृतीय (844-888ई.) ने उत्तरी अर्काट के पल्लवों को पराजित किया, तंजोर के कोलाओं को उनके देश के पंड्याओं पर पुनर्विजय में सहायता दी, राष्ट्रकूट कृष्ण द्वितीय और उसके सबंधी दहाल के कलचुरी संकरगण और कालिंग के गंगों को परास्त किया और किरणपुआ तथा चक्रकूट नगरों को जलवा दिया। 10वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में गुहयुद्ध हुआ और बदप ने, जो चालुक्य साम्रज्य का पार्श्ववर्ती भाग था, राष्ट्रकूट कृष्ण तृतीय को सहायता देकर तत्कलीन चालुक्य शासक दानार्णव को परास्त कर दिया। फिर वेंगो के सिंहासन पर अवैध अधिकार कर लिया, जहाँ पर उसने और उसे उत्तराधिकारियों ने 999 ई. तक राज्य किया। अंत में दानार्णव के पुत्र शक्तिवर्मन् ने सभी शत्रुओं को परास्त करने और अपने देश में अपना प्रभुत्व स्थापित करने में सफलता प्राप्त की। शक्तिवर्मन् का उत्तराधिकार उसके छोटे भाई विमलादित्य ने सँभाला। उसके पश्चात् उसका पुत्र राजराज (1018-60) उत्तराधिकारी हुआ। राजराज ने तंजोर के राजेंद्रचोल प्रथम की कन्या से विवाह किया और उससे उसको कुलोत्तुंग नाम का पुत्र उत्पन्न हुआ जो अपने जीवन के प्रारंभिक दिनों में चोल राजधानी में अपनी नानी तथा राजेंद्रचोल की रानी के पास रहा। सन् 1060 में राजराज अपने सौतेले भाई विक्रमादित्य सप्तम द्वारा अदस्थ किया गया जो वेंगी के सिंहासन पर 1076 तक रहा। सन् 1070 में राजराज के पुत्र कुलोत्तुंग ने चोल देश पर सार्वभौमिक शासन किया और सन् 1076 में अपने चाचा विजादित्य सप्तम को पराजित कर आंध्र को अपने राज्य में मिला लिया। कुलोत्तुंग और उसके उत्तराधिकारी, जो "चोल" कहलाना पसंद करते थे, सन् 1271 तक चोल देश पर शासन करते रहे।

ऊपर इसका उल्लेख किया जा चुका है कि बादामी का चालुक्य कीर्तिवर्मन् द्वितीय 8वीं शती के मध्यभाग में राष्ट्रकूटों द्वारा पदच्युत कर दिया गया, जिन्होंने बाद में दक्षिण में दो सौ वर्षों से अधिक काल तक राज्य किया। इस काल में कीर्तिवर्मन् द्वितीय का भाई भीम और उसके उत्तराधिकारी राष्ट्रकूटों के सामंतों की हैसियत से बीजापुर जिले में राज्य करते रहे। इन सांमतों में अंतिम तैल द्वितीय ने दक्षिण में राष्ट्रकूटों के शासन को समाप्त कर दिया और 973 ई. में देश में सार्वभौम सत्ता स्थापित कर ली। वह बड़ी सफलता के साथ चोलों और गंगों से लड़ा और मालवा के राजा मुंज को बंदी बना लिया, जिसे अंत में उसने मरवा दिया। तैल की प्रारंभिक राजधानी मान्यखेट थी। सन् 993 के कुछ दिनों पश्चात् राजधानी का स्थानांतरण कल्याणी में हो गया जो अब बिहार में है। तैल का पौत्र जयसिंह (सन् 1015-1042) परमार भोज और राजेंद्र चोल से सफलतापूर्वक लड़ा। जयसिंह का बेटा सोमेश्वर (1042-1068) भी चोलों से बड़ी सफलतापूर्वक लड़ा और लाल, मालवा तथा गुर्जर को रौंद डाला। उसका उत्तराधिकार उसके पुत्र सोमेश्वर द्वितीय ने 1069 में सँभाला जिसे उसके छोटे भाई विक्रमादित्य षष्ठ ने 1076 ई. में अपदस्थ कर दिया। विक्रमादित्य कुलोत्तुंग प्रथम से आंध्र देश पर अधिकार करने के निमित्त लड़ा। युद्ध के विभिन्न परिणाम हुए और कुलोत्तंग प्रथम की मृत्यु के पश्चात् (1018 ई.) कुछ काल तक के लिये विक्रमादित्य ने उस प्रदेश कर अपना प्रभुत्व स्थापित रखा। उसने द्वारसमुद्र के "होयसलों" और देवगिरि के यादवों के विद्रोहों का दमन किया और लाल तथा गुर्जर को लूट लिया। उसके दरबार की शोभा कश्मीरी कवि "विल्हण" से थी, जिसने विक्रमांकदेवचरित लिखा है। विक्रमादित्य षष्ठ के पौत्र तैल तृतीय के शासनकाल में सन् 1156 में कलचुरी बिज्जल ने दक्षिण पर सार्वभौम अधिकार कर लिया और चालुक्य सम्राट् की मृत्यु के पश्चात् सन् 1163 में अपने को सम्राट् घोषित कर दिया। तैल तृतीय के पुत्र सोमेश्वर चतुर्थ ने 1181 में कलचुरी से पुन: राजसिंहासन छीन लिया, किंतु 1184 के लगभग फिर यादव भिल्लम को समर्पण करना पड़ा। उसके उत्तराधिकारियों के विषय में कुछ भी ज्ञात नहीं हैं। चालुक्यवंश की तीन प्रमुख शाखाओं के साथ, जिनका उल्लेख पहले किया जा चुका है, कुछ दूसरी शाखाएँ भी थीं जिन्होंने दक्षिण आंध्र और गुजरात आदि के कुछ भागों में प्रारंभिक काल में शासन किया।


संस्कृति
बादामी के चालुक्य

उत्तरी कर्नाटक के पत्तडकल में प्राचीन कन्नड़ अभिलेख
चालुक्य नरेशों की पूर्ण उपाधि सत्याश्रय श्री पृथिवीवल्लभ महाराजाधिराज परमेश्वर भट्टारक थी। इसमें से परमेश्वर का सर्वप्रथम उपयोग हर्षवर्धन पर पुलकेशिन् द्वितीय की विजय के बाद हुआ और महाराजाधिराज तथा भट्टारक सर्वप्रथम विक्रमादित्य प्रथम के समय प्रयुक्त हुए। राजवंश के योग्य व्यक्तियों को राज्य में अधिकार के पदों पर नियुक्त किया जाता था। राज्य में रानियों का महतव भी नगण्य नहीं होता था। विजित प्रदेश के शासकों को विजेता की अधीनता स्वीकार कर लेने पर शासन पर अधिकार फिर से प्राप्त हो जाता था। अभिलेखों में सामंत और महत्तर के अतिरिक्त विषयपति, देशधिपति, महासांधिविग्रहिक, गामुंड, ग्रामभोगिक और करण के उल्लेख मिलते हैं। राज्य राष्ट्र, विषय, नाडु और ग्रामों में विभक्त था। राज्य के करों में निधि, उपनिधि, क्लृप्त, उद्रंग और उपरिकर के अतिरिक्त मारुंच, आदित्युंच, उचमन्न और मरुपन्न आदि स्थानीय करों के उल्लेख हैं। मकानों और उत्सवों पर भी कर था। व्यापारी संघ स्वयं अपने ऊपर भी कर लगाया करते थे। चालुक्यों को सेना संगठित और शाक्तिशाली थी। इसका उल्लेख युवानच्वाङ् ने किया है और इसका समर्थन चालुक्यों की विजयों से, विशेष रूप से हर्ष पर सिद्ध होता है। उसका कहना है कि पराजित सेनापति को कोई दंड नहीं दिया जाता, केवल उसे स्त्रियों के वस्त्र पहनने पड़ते हैं। चालुक्यों की नौसेना की शक्ति भी नगण्य नहीं थी।

युवान च्वांङ् ने लिखा है मिट्टी अच्छी और उपजाऊ है, बराबर जोती जाती है और इससे बहुत अधिक उपज होती है। उसने महाराष्ट्र के निवासियों को गर्वीला और युद्धप्रिय बतलाया है एवं कहा है कि वे उपकार के प्रति कृतज्ञ और अपकार के प्रति प्रतिशोधक होते है, विपन्न और शरणगत के लिये वे आत्मबलिदान तक करने को तत्पर रहते हैं और अपमान करनेवाले की हत्या की उन्हें पिपासा होती है। स्त्रियों में उच्चकुलों में शिक्षा के प्रसार के कई प्रमाण हैं। मंदिर सामाजिक तथा आर्थिक जीवन के विशिष्ट केंद्र थे। आर्थिक जीवन में श्रेणियों का महत्व था। कांस्यकार और तेलियों की श्रेणियों के उल्लेख अभिलेखों में मिलते हैं। लक्ष्मेश्वर के अभिलेख में युवराज विक्रमादित्य द्वारा पोरिगिरे स्थान के महाजनों, नगर और 18 प्रकृतियों को दी गई आचारव्यवस्था का विवरण है। राज्य की ओर से तौल और मान में आदर्श रूप प्रस्तुत किया गया था।

ब्राह्मण धर्म उन्नति पर था। चालुक्य नरेश विष्णु अथवा शिव के उपासक थे। उन्होंने इन देवताओं की पूजा के लिये पट्टकल, बादामी आदि स्थानों पर भव्य मंदिर निर्मित किए। ग्रहण के अवसर पर वे दान देते थे और स्मृतियों के आदर्श पर व्रत और दान करते थे। वे वैदिक यज्ञों का अनुष्ठान करते थे और विद्वान् ब्राह्मणों का संत्कार करते थे। किंतु धार्मिक विषयों में वे सहिष्णु थे तथा जैनियों का आदर करते थे। और उन्हें भी दान देते थे। चालुक्य राज्य में जैन धर्म उन्नत दशा में था। राज्य में कई उल्लेखनीय जैन मंदिर भी बनवाए गए। बौद्ध धर्म की स्थिति के लिये हमारे पास कोई समकालीन पुरातत्व का प्रमाण नहीं है। युवान च्वाङ् का कथन है कि महाराष्ट्र में सौ से ऊपर बौद्ध विहार और पाँच हजार से ऊपर बौद्ध भिक्षु थे।

युवानच्वांड के अनुसार लोगों को ज्ञानार्जन की रुचि थी। राजवंश के व्यक्ति स्वयं विद्याओं और शास्त्रों का अध्ययन करते थे और विद्वानों को दान के द्वारा प्रोत्साहन देते थे। वातापी शिक्षा और ज्ञान के केंद्र के रूप में प्रसिद्ध थी। संस्कृत साहित्य के विभिन्न अंगों का अध्ययन होता था। अभिलेखों की भाषाशैली पर प्रसिद्ध काव्यग्रंथों का प्रभाव स्पष्ट है। एहोळे प्रशस्ति की रचना जैन कवि रविकीर्ति ने की थी। जैनेंद्र व्याकरण के रचयिता पूज्यवाद इसी काल के थे। विजयांका अथवा विज्जिका, जिसकी गणना राजशेखर ने वैदर्भी शैली का प्रयाग करने में केवल कालिदास के बाद की है, संभवत: चंद्रादित्य की रानी विजयभट्टारिका ही थी। सोमदेवसूरि ने यशस्तिलकचंपू और नीतिवाक्या मृत की रचना वेमुलवाड के चालुक्यों के संरक्षण में की थी। कन्नड साहित्य के इतिहास में भी इस काल का योगदान महत्वपूर्ण है। श्री वर्धदेव ने तत्वार्थमहाशास्त्र पर चूडामणि नाम की टीका लिखी। श्यामकुंदाचार्य प्राकृत, संस्कृत और कर्णाट भाषाओं के लेखक के रूप में प्रसिद्ध हैं। कन्नड भाषा के सर्वश्रेष्ठ कवि और आदिपुराण तथा विक्रमार्जुनविजय के रचयिता पंप वेमुलवाड के चालुक्य नरेश अरिकेसरि द्वितीय के दरबार में थे।

ऐहोले, मेगृति और बादामी के मंदिरों से दक्षिण के मंदिरों का इतिहास प्रारंभ होता है। पट्टकल के मंदिरों में इनके विकास का दूसरा चरण परिलक्षित होता है इन मंदिरों से मूर्तियों की संख्या में वृद्धि के साथ ही इनकी शैली में भी विकास मिलता है। ठोस चट्टानों को काटकर मंदिरों का निर्माण करने की कला में अद्भुत कुशलता दिखलाई पड़ती है। लोकेश्वर मंदिर के निर्माता श्रीगुंडन् अनिवारिताचारि ने अनेक नगरों की निर्माणयोजना की थी और अनेक वास्तु, यान, आसन, शयन, मणिमुकुट और रत्नचूड़ामणि आदि बनाए थे। वह त्रिभुवनाचारि और दक्षिण देश के सूत्रधार के रूप में प्रसिद्ध थे। विद्वान् अजंता के भित्तिचित्रों में से कुछ को इसी काल की कृति मानते हैं। पट्टदकल के अभिलेख में भी शिल्पकारों और मूर्तिकारों के एक वंश की तीन पीढ़ियों का उल्लेख है। एक अभिलेख में भरत की परंपरा पर आधारित नृत्य के एक नए ग्रंथ की लोकप्रियता का उल्लेख है जिसने अन्य विरोधी पद्धतियों पर विजय प्राप्त की थी।


कल्याणी के चालुक्य[संपादित करें]

लकुंडी (गडग जिला) में स्थित जैन मंदिर

इनके राजचिह्रों में मयूरध्वज भी था। इनका पूर्ण विरुद था- समस्त भुवनाश्रय श्रीपृथिवीवल्लभ महाराजाधिराज परमेश्वर परमभट्टारक सत्याश्रयकुलतिलक चालुक्याभरण श्रीमत् -जिसके अंत में मल्ल अंतवाली राजा की विशिष्ट उपाधि होती थी। राजवंश के व्यक्तियों को विभिन्न प्रदेशों के करों का भाग भुक्ति के रूप में मिलता था। युवराज को राज्य के दो प्रमुख प्रांतों का शासन दिया जाता था। सामंतों के अभिलेखों में उनके अधिपति के वंशावली के बाद "तत्पाद पद्मोपजीवि" के साथ उनका स्वयं का उल्लेख होता था। उनके अभिलेख में राज्य की उत्तरोत्तर अभिवृद्धि और आचंद्रार्क-स्थायित्व सूचक शब्दों का अभाव होता था। स्त्रियों को भी प्रांत और दूसरे प्रादेशिक विभाजनों का शासन दे दिया जाता था। चालुक्यों के अभिलेखों में कई राजगुरुओं के उल्लेख हैं। राज्य के वैभव के प्रदर्शन की भावना बढ़ रही थी। इसी के साथ शासनव्यवस्था की जटिलता बढ़ रही थी। उदाहरणार्थ, सांधिविग्रहिक के साथ ही हमें कन्नडसांधिविग्रहिक, लाटसांधिविग्रहिक और हेरिसांधिविग्रहिक के उल्लेख मिलते हैं। राजभवन में सेवकों और अधिकारियों में कई रंग दिखलाई पड़ते हैं। चालुक्य अभिलेखों में अनेक योग्य मंत्रियों तथा अधिकारियों के नाम मिलते हैं जिन्होंने चालुक्यों के गौरव को बढ़ाने में विशेष योग दिया था। ऐसे अधिकारी प्राय: एक से अधिक पदों पर रहते थे। विशिष्ट गौरवप्राप्त अधिकारियों और विशिष्ट सैनिकों का एक वर्ग था जे सहवासि कहलाता था। वह सदैव सम्राट् के साथ रहता था और उसकी सेवा में प्राण तक त्यागने के लिये प्रस्तुत रहता था। पद प्राय: वंशगत होते थे और वेतन के स्थान पर भुक्ति अथवा कर का भाग देने का प्रचलन था। विशिष्ट सेवा के लिये विशेष उपाधियों और विशेष चिह्रों के उपयोग का अधिकार दिया जाता था। सैनिक अधिकारियों में सेनाधिपति, महादंडनायक, दंडनायक और कतितुरगसाहिनि के उल्लेख मिलते हैं। सेना में सभी जाति और वर्ग के लोग संमिलित होते थे। राज्य राष्ट्र, विषय, नाड्ड, कंपण और ठाण में विभक्त था। किंतु इन प्रादेशिक विभाजनों के साथ अभिलेखों में जो संख्याएँ प्रयुक्त हुई हैं उनका निश्चित महत्व अभी तक नहीं स्पष्ट हो पाया है। शासन में स्थानीय स्वायत्त संस्थाओं का विशेष स्थान था। इनमें से कुछ का स्वरूप सामाजिक और धार्मिक भी था। नगरों का प्रबंध करनेवाली सभाएँ महाजन के नाम से प्रसिद्ध थीं। गांवों की संस्थाएँ, जो मुख्यत: चोल संस्थाओं जैसी थीं, पहले की तुलना में अधिक सक्रिय थीं। ये सामूहिक संस्थाएँ परस्पर सहयोग के साथ काम करती थीं और सामाजिक जीवन में उपयोगी अनेक कार्यों का प्रबंध करती थीं। गाँव के अधिकारियों में उरोडेय, पेर्ग्गडे, गार्वुड, सेनबोव और कुलकर्णि के नाम मिलते हैं। राज्य द्वारा लिए जानेवाले कर प्रमुख रूप से दो प्रकार के थे : आय, यथा सिद्धाय, पन्नाय और दंडाय तथा शुंक, यथा वड्डरावुलद शुंक, पेर्ज्जुक और मन्नेय शुंक। इनके अतिरिक्त अरुवण, बल्लि, करवंद, तुलभोग और मसतु का भी निर्देश है। मनेवण गृहकर था, कन्नडिवण (दर्पणक) संभवत: नर्तकियों से लिया जाता था और बलंजीयतेरे व्यापारियों पर था। विवाह के लिये बनाए गए शामियानों पर भी कर का उल्लेख मिलता हैं। इस काल क संस्कृति का स्वरूप उदार और विशाल था और उसमें भारत के अन्य भागों के प्रभाव भी समाविष्ट कर लिए गए थे। स्त्रियों के सामाजिक जीवन में भाग लेने पर बंधन नहीं थे। उच्च वर्ग की स्त्रियों की शिक्षा की समुचित व्यवस्था थी। नर्तकियों (सूलेयर) की संख्या कम नहीं थी। सतीप्रथा के भी कुछ उल्लेख मिलते हैं। महायोग, शूलब्रह्म और सल्लेखन आदि विधियों से प्राणोत्सर्ग के कुछ उदाहरण मिलते हैं। दिवंगत संबंधी, गुरु अथवा महान व्यक्तियों की स्मृति में निर्माण कराने को परोक्षविनय कहते थे। पोलो जैसे एक खेल का चलन था। मंदिर सामाजिक और आर्थिक जीवन के भी केंद्र थे। उनमें नृत्य, गीत और नाटक के आयोजन होते थे। संगीत में राजवंश के कुछ व्यक्तियों की निपुणता का उल्लेख मिलता है। सेनापति रविदेव के लिये कहा गया है कि जब वह अपना संगीत प्रस्तुत करता था, लोग पूछते थे कि क्या यह मधु की वर्षा अथवा सुधा की सरिता नहीं हैं?

कृषि के लिये जलाशयों के महत्व के अनुरूप ही उनके निर्माण और उनकी मरम्मत के लिये समुचित प्रबंध होता था। आर्थिक दृष्टि से उपयोगी फसलें, जैसे पान, सुपारी कपास और फल, भी पैदा की जाती थीं। उद्योगों और शिल्पों की श्रेणियों के अतिरिक्त व्यापारियों के भी संघ थे। व्यापारियों ने कुछ संघ, तथा नानादेशि और तिशैयायिरत्तु ऐंजूर्रुवर् का संगठन अत्यधिक विकसित था और वे भारत के विभिन्न भागों और विदेशों के साथ व्यापार करते थे। इस काल के सिक्कों के नाम हैं- पोन् अथवा गद्याण, पग अथवा हग, विस और काणि। जयसिंह, जगदेकमल्ल और त्रैयोक्यमल्ल के नाम के सोने और चाँदी के सिक्के उपलब्ध होते हैं। मत्तर, कम्मस, निवर्तन और खंडुग भूमि नापने की इकाइयाँ थी किंतु नापने के दंड का कोई सुनिश्चित माप नहीं था। संभवत: राज्य की ओर से नाप की इकाइयों का व्यवस्थित और निश्चित करने का प्रयत्न हुआ था।

सहनशीलता और उदारता इस युग के धार्मिक जीवन की विशेषताएँ थीं। सभी धर्म और संप्रदाय समान रूप से राजाओं और सामंतों के दान के पात्र थे। ब्राह्मण धर्म में शिव और विष्णु की उपासना का अधिक प्रचलन था, इनमें भी शिव की पूजा राजवंश और देश दोनों में ही अधिक जनप्रिय थी। कलचूर्य लोगों के समय में लिंगायत संप्रदाय के महत्व में वृद्धि हुई थी। कोल्लापुर महालक्ष्मी की शाक्त विधि से पूजा का भी अत्यधिक प्रचार था। इसके बाद कार्तिकेय की पूजा का महत्व था। बौद्ध धर्म के प्रमुख केंद्र बेल व गावे और डंबल थे। किंतु बौद्ध धर्म की तुलना में जैन धर्म का प्रचार अधिक था।

वेद, व्याकरण और दर्शन की उच्च शिक्षा के निमित्त राज्य में विद्यालय या घटिकाएँ थीं जिनकी व्यवस्था के लिये राज्य से अनुदान दिए जाते थे। देश में ब्राह्मणों के अनेक आवास अथवा ब्रह्मपुरी थीं जो संस्कृत के विभिन्न अंगों के गहन अध्ययन के केंद्र थीं।

वादिराज ने जयसिंह द्वितीय के समय में पार्श्वनाथचरित और यशोधरचरित्र की रचना की। विल्हण की प्रसिद्ध रचना विक्रमांकदेवचरित में विक्रमादित्य षष्ठ के जीवनचरित् का विवरण है। विज्ञानेश्वर ने याज्ञवल्क्य स्मृति पर अपनी प्रसिद्ध टीका मिताक्षरा की रचना विक्रमादित्य के समय में ही की थी। विज्ञानेश्वर के शिष्य नारायण ने व्यवहारशिरोमणि की रचना की थी। मानसोल्लास अथवा अभिलषितार्थीचिंतामणि जिसमें राजा के हित और रुचि के अनेक विषयों की चर्चा है सोमेश्वर तृतीय की कृति थी। पार्वतीरुक्तिमणीय का रचयिता विद्यामाधव सोमेश्वर के ही दरबार में था। सगीतचूड़ामणि जगदेकमल्ल द्वितीय की कृति थी। संगीतसुधाकर भी किसी चालुक्य राजकुमार की रचना थी। कन्नड़ साहित्य के इतिहास में यह युग अत्यंत समृद्ध था। कन्नड भाषा के स्वरूप में भी कुछ परिवर्तन हुए। षट्पदी और त्रिपदी छंदों का प्रयोग बढ़ा। चंपू काव्यों की रचना का प्रचलन समाप्त हो चला। रगले नाम के विशेष प्रकार के गीतों की रचना का प्रारंभ इसी काल में हुआ। कन्नड साहित्य के विकास में जैन विद्वानों का प्रमुख योगदान था। सुकुमारचरित्र के रचयिता शांतिनाथ और चंद्रचूडामणिशतक के रचयिता नागवर्माचार्य इसी कल में हुए। रन्न ने, जो तैलप के दरबार का कविचक्रवर्ती था, अजितपुराण और साहसभीमविजय नामक चंपू, रन्न कंद नाम का निघंटु और परशुरामचरिते और चक्रेश्वरचरिते की रचना की। चामंुडराय ने 978 ई. में चामुंडारायपुराण की रचना की। छंदोंबुधि और कर्णाटककादंबरी की रचना नागवर्मा प्रथम ने की थी। दुर्गसिंह ने अपने पंचतंत्र में समकालीन लेखकों में मेलीमाधव के रचयिता कर्णपार्य, एक नीतिग्रंथ के रचयिता कविताविलास और मदनतिलक के रचयिता चंद्रराज का उल्लेख किया है। श्रीधराचार्य को गद्यपद्यविद्याधर की उपाधि प्राप्त थी। चंद्रप्रभचरिते के अतिरिक्त उसने जातकतिलक की रचना की थी जो कन्नड में ज्योतिष का प्रथम ग्रंथ है। अभिनव पंप के नाम से प्रसिद्ध नागचंद्र ने मल्लिनाथपुराण और रामचंद्रचरितपुराण की रचना की। इससे पूर्व वादि कुमुदचंद्र ने भी एक रामायण की रचना की थी। नयसेन ने धर्मामृत के अतिरिक्त एक व्याकरण ग्रंथ भी रचा। नेमिनाथपुराण कर्णपार्य की कृति है। नागवर्मा द्वितीय ने काव्यालोकन, कर्णाटकभाषाभूषण और वास्तुकोश की रचना की। जगद्दल सोमनाथ ने पूज्यवाद के कल्याणकारक का कन्नड में अनुवाद कर्णाटक कल्याणकारक के नाम से किया। कन्नड गद्य के विकास में वीरशैव लोगों का विशेष योगदान था। प्राय: दो सौ लेखकों के नाम मिलते हैं जिनमें कुछ उल्लेखनीय लेखिकाएँ भी थीं। बसव और अन्य वीरशैव लेखकों ने वचन साहित्य को जन्म दिया जिसमें साधारण जनता में वीरशैव सिद्धांतों के प्रचलन के लिये सरल भाषा का उपयोग किया गया। कुछ लिंगायत विद्वानों ने कन्नड साहित्य के अन्य अंगों को भी समृद्ध किया।

अभिलेखों में प्रस्तर के कुछ कुशल शिल्पियों के नाम मिलते हैं यथा शंकरार्य, नागोज और महाकाल। चालुक्य मंदिरों की बाहरी दीवारों और दरवाजों पर सूक्ष्म अलंकारिता मिलती है। मंदिरों के मुख्य प्रवेशद्वार पार्श्व में हैं। विमान और दूसरे विषयों में भी इन मंदिरों का विकसित रूप होयसल मंदिरों में दिखलाई पड़ता है। इन मंदिरों के कुछ उल्लेखनीय उदाहरण हैं लक्कुंदि में काशिविश्वेश्वर, इत्तगि में महादेव और कुरुवत्ति में मल्लिकार्जुन का मंदिर।


वंशावली >>
पुलकेसि १ (543 - 566)
कीर्तिवर्मन् १ (566 - 597)
मंगलेश (597 - 609)
पुलकेसि २ (609 - 642)
विक्रमादित्य १ चालुक्य (655 - 680)
विनयादित्य (680 -696)
विजयादित्य (696 - 733)
विक्रमादित्य २ चालुक्य (733 – 746)
कीर्तिवर्मन् २ (746 – 753)
दन्तिदुर्ग (राष्ट्रकूट साम्राज्य) (735-756) ने चालुक्य साम्राज्य को पराजित कर राष्ट्रकूट साम्राज्य की नींव डाली


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Sunday, February 21, 2016

विश्व इतिहास की जानकारी

विश्व इतिहास की जानकारी

● पोट्र्स माऊथ की संधि कब हुई— 1905 में
● ‘पीत आंतक’ से किसे संबोधित किया गया था— जापान को
● समाजवाद शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम किसने किया—रॉबर्ट ओवेन ने
● ‘दास कैपिटल’ नामक पुस्तक किसने लिखी— कार्ल मार्क्स
● फ्रांसीसी साम्राज्यवाद का जनक किसे माना जाता है— सेंट साइमन को
● ‘चेका’ का संगठन किसने किया— लेनिन ने
● रूसी साम्यवाद का जनक किसे कहा जाता है— गॉर्गी प्लेखानोव को
● रूस में ‘सोशल डेमोक्रेटिक दल’ की स्थापना कब की गई— 1898 में
● ‘दुनिया के मजदूरों एक हो’ का नारा किसने दिया— कार्ल मार्क्स
● फेबियन सोसाइटी की स्थापना कहाँ की गई— लंदन में
● फेबियन सोसाइटी की स्थापना कब हुई— 1884 में
● रूस के शासक को क्या कहा जाता था— जार
● किस जार को मुक्तिदाता के नाम से जाना जाता था— अलेक्जेंडर द्वितीय
● रूस का अंतिम जार कौन था— अलेक्जेंडर द्वितीय
● प्रथम विश्व युद्ध के समय लेनिन का नारा क्या था— ‘युद्ध का अंत करो’
● स्थाई शांति हेतु सिद्धांत किसने दिया— ट्राटस्की
● लेनिन की मृत्यु कब हुई— 1924 में
● इंग्लैंड में गृह युद्ध कब हुआ— 1642 में
● इंग्लैंड में गृह युद्ध किसके शासन काल में हुआ— चार्ल्स प्रथम
● ‘सौ वर्षीय युद्ध’ किस-किस के मध्य हुआ— इंग्लैंड एवं फ्रांस के मध्य
● इंग्लैंड में गृह युद्ध के दौरान समर्थकों को क्या कहा जाता था— कैवेलियर
● इंग्लैंड में गृह युद्ध के बाद वहाँ के शासक चार्ल्स प्रथम को किस प्रकार की सजा दी गई— फाँसी की सजा
● चार्ल्स प्रथम को फाँसी कब दी गई— 1649 ई.
● इंग्लैंड में रक्तविहीन क्रांति हुई, उस समय इंग्लैंड का शासक कौन था— जेम्स द्वितीय
● जेम्स द्वितीय किस धर्म का अनुयायी था— कैथोलिक धर्म का
● ‘कोर्ट ऑफ हाई कमान’ की स्थापना किसने की— जेम्स द्वितीय
● जेम्स द्वितीय किस धर्म का अनुयायी था— कैथोलिक धर्म का
● ‘कोर्ट ऑफ हाई कमान’ की स्थापना किसने की— जेम्स द्वितीय ने
● जिस समय विलियम तृतीय को इंग्लैंड की राजगद्दी पर बैठने का न्यौता दिया गया, वह कहाँ का शासक था— हॉलैंड का
● ट्यूदर वंश से संबंधित कौन था— एलिजाबेथ प्रथम
● इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति का आरंभ किस उद्योग से हुआ— सूती कपड़ा उद्योग से
● सर्वप्रथम पक्की सड़क बनाने की विधि कहाँ निकाली गई— स्कॉटलैंड में
● किस व्यक्ति ने पक्की सड़क बनाने की विधि निकाली— मैकेडम
● सर्वप्रथम नहर कब बनाई गई— 1761 में
● प्रथम नहर कहाँ से कहाँ तक निकाली गई— मैनचेस्टर से वर्सले तक
● किस इंजीनियर द्वारा प्रथम नहर निकाली गई— ब्रिडले
● भाप इंजन का प्रयोग सर्वप्रथम किसने किया— जार्ज स्टीफेंसन ने
● भाप के इंजन का प्रयोग सर्वप्रथम कब हुआ— 1814 में
● सर्वप्रथम भाप इंजन का प्रयोग किसके लिए किया गया— खानों से बंदरगाहों तक कोयला ले जाने के लिए
● औद्योगिक क्रांति की दौड़ में इंग्लैंड का प्रतिद्वंद्वी राष्ट्र कौन-सा था— जर्मनी
● चीन व भारत के मध्य पंचशील सिद्धांतों पर हस्ताक्षर कब हुए— 1954 ई.
● रोडेशिया का नाम जिंबाब्बे कब रखा गया— 1980 ई.
● यूरोप में यूरो मुद्रा का प्रचलन कब हुआ— 1999 ई.
● चीन की प्राचीन सभ्यता का विकास कब हुआ— 2500 ई. पू.
● चीन की दीवार का निर्माण कब हुआ— 220 ई. पू.
● मक्का में मोहम्मद साहब का जन्म कब हुआ— 570 ई. पू.
● वाटरलू का युद्ध कब हुआ— 1815 ई.
● विश्व शांति के लिए बांडगु सम्मेलन कब हुआ— 1955 ई.
● ब्रिटेन के प्रथम प्रधानमंत्री कौन थे— राबर्ट वालपोल
● ट्राल्फगर का युद्ध किस-किस के मध्य हुआ— नेपोलियन व इंग्लैंड के बीच
● ‘यदि समाज में क्रांति लानी हो तो क्रांति का नेतृत्व नवयुवकों के हाथ में दे दो’ यह किसने कहा था—जोसेफ मेजिनी
● वैज्ञानिक समाजवाद का जनक किसे कहा जाता है— कार्ल मार्क्स
● ‘कम्यूनिस्ट मैनीफेस्टो’ पुस्तक किसने लिखी— कार्ल मार्क्स
● ‘शून्यवाद’ का जनक किसे कहा जाता है— तुर्गनेव
● आधुनिक रूस का निर्माता किसे माना जाता है— स्टालिन
● चीन की यात्रा करने वाला प्रथम यूरोपीय कौन था— मार्को पोलो
● ‘मैं जानता हूँ यह प्रजातंत्र तब तक रहेग, जब तक में जीवित हूँ। मेरे मरने के बाद प्रलय होगी’ यह कथन किसका है— लुई प्रंदहवा
● प्रथम विश्व युद्ध का मुख्य कारण क्या था— ऑस्ट्रिया के राजकुमार फर्डिनेड की हत्या
● प्रथम विश्व युद्ध के समय अमेरिका का राष्ट्रपति कौन था— वुडरो विल्सन
● प्रथम विश्व युद्ध कब समाप्त हुआ— 11 नवंबर, 1918 ई.
● मोरक्को संकट कब पैदा हुआ— 1905 ई.
● वर्साय की संधि कब हुई— 28 जनू, 1919 ई.
● वर्साय की संधि किसके साथ हुई— जर्मनी
● प्रथम विश्व युद्ध में कितने राष्ट्रों ने भाग लिया— 37
● गुप्त संधियों की प्रणाली का जनक किसे माना जाता है— बिस्मार्क को
● ऑस्ट्रिया, जर्मनी एवं इटली के मध्य त्रिगुट का निर्माण कब हुआ— 1882 में
● रूस-जापान का युद्ध कब हुआ— 1904-05 में
● प्रथम विश्व युद्ध के दौरान जर्मनी ने किस राष्ट्र पर 1914 ई. में आक्रमण किया— बेल्जियम, लक्जमबर्ग, फ्रांस व रूस पर
● अमेरिका किस समय प्रथम विश्व युद्ध में शामिल हुआ— 6 अप्रैल, 1917 को
● पेरिस शांति सम्मेलन कब से कब तक आयोजित हुआ— 18 जनवरी, 1919-21 जनवरी, 1920 तक
● लीग ऑफ नेशंस की स्थापना कब हुई— 1920 ई.
● द्वितीय विश्व युद्ध कब शुरू हुआ— 1 सितंबर, 1939 ई.
● द्वितीय विश्व युद्ध कब समाप्त हुआ— 2 सितंबर, 1945 ई.
● द्वितीय विश्व युद्ध का तत्कालीन कारण क्या था— जर्मनी द्वारा पोलैंड पर आक्रमण
● म्यूनिख पैक्ट कब हुआ— 29 सिंतबर, 1938 ई.
● जर्मनी द्वारा वर्साय की संधि का पहला बड़ा उल्लंघन कब किया गया— 1935 ई.
● वर्साय की संधि को अन्य किस नाम से जाना जाता है— आरोपित संधि
● अमेरिका ने द्वितीय विश्व युद्ध में कब भाग लिया— 8 दिसंबर, 1941 ई.
● जापान के किन दो नगरों पर अमेरिका ने परमाणु बम गिराये— हिरोशिमा व नागासाकी
● अमेरिका द्वारा प्रथम परमाणु बम कब गिराया गया— 6 अगस्त, 1945 ई.
● अमेरिका ने पहला परमाणु बम कहाँ गिराया— हिरोशिमा
● अमेरिका द्वारा नागासाकी पर परमाणु बम कब गिरया गया— 9 अगस्त, 1945 ई.
● संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना किस समय हुई— द्वितीय विश्व युद्ध के बाद
● द्वितीय विश्व युद्ध के समय इंग्लैंड का प्रधानमंत्री कौन था— विंस्टन चर्चिल
● द्वितीय विश्व युद्ध के समय अमेरिका का राष्ट्रपति कौन था— फ्रैंकलीन डी. रुजवेल्ट
● द्वितीय विश्व युद्ध में जर्मनी की पराजय का श्रेय किसे दिया जाता— रूस को
● जापान ने मंचूरिया पर आक्रमण कब किया— 1931 में
● इंग्लैंड में शानदार अलगाववउद की नीति का विचारक कौन था— सेलिसेवरी
● ‘न्यू डील’ के प्रतिपादक कौन थे— फ्रैंकलीन डी. रुजवेल्ट
● रोम-बर्लिन समझौता कब हुआ— 25 अक्टूबर, 1936 में
● जर्मनी ने आत्मसमर्पण कब किया— 7 मई, 1945 में
● द्वितीय विश्व युद्ध के समय इटली का अधिनायक कौन था— मुसोलिनी
● अमेरिका का द्वितीय विश्व युद्ध में शामिल होने का मुख्य कारण क्या था— जापान द्वारा पर्ल हार्बर पर आक्रमण
● ‘यूरोप का मरीज’ किसे कहा जाता है— तुर्की
● ‘पान इस्लामिज्म’ का नारा किसने दिया— अब्दुल हमीद द्वितीय ने
● आधुनिक तुर्की का निर्माता किसे माना जाता है— मुस्तफा कमाल अतातुर्क पाशा
● तुर्की में ग्रिगोरियन कलैंडर का प्रचलन कब आरंभ हुआ— 26 दिसंबर, 1925 ई.
● ‘इस्तांबुल’ का पुराना नाम क्या था— कुस्तुनतुनिया (कांस्टेटिनोपल)
● कमाल पाशा की मृत्यु कब हुई— 1938 ई.
● प्रथम विश्व युद्ध के बाद तुर्की के साथ अपमानजनक संधि कब हुई— 10 अगस्त, 1920 में
● प्रथम विश्व युद्ध के बाद तुर्की के साथ हुई अपमानजनक संधि को किस नाम से जाना जाता है— सेवा की संधि
● लॉजान की संधि कब हुई— 24 अगस्त, 1923 में
● लॉजान की संधि किस-किस के मध्य हुई— तुर्की और यूनान
● तुर्की में ‘रिपब्लिकन पीपुल्स पार्टी’ के संस्थापक कौन थे— मुस्तफा कमाल पाशा
● तुर्की में गणतंत्र की स्थापना कब हुई— 1923 में
● तुर्की में नए संविधान की घोषणा कब की गई— 20 अप्रैल, 1924 में
● जापान के साम्राज्यवाद का पहला शिकार कौन-सा राष्ट्र हुआ— चीन
● जापान में आधुनिकीकरण की प्रक्रिया की शुरूआत किसने की— मूत सुहीतो ने
● जापान की सैनिक सेवा अनिवार्य कब की गई— 1872 ई.
● जापान ने राष्ट्र संघ की सदस्यता कब छोड़ी— 24 फरवरी, 1933 ई.
● जापान का द्वार अमेरिकी व्यापार के लिए किसने खोला— अमेरिकी नाविक पेरी ने
● ‘सौ चूहों की अपेक्षा एक शेर का शासन उत्तम है’ यह किसने कहा था— वॉल्टेयर का
● ‘कानून की आत्मा’ की रचना किसने की— मॉटेस्क्यू
● माप-तौल की दशमलव प्रणाली का शुभारंभ कहाँ से हुआ— फ्रांस से
● सांस्कृतिक राष्ट्रीयता का जनक किसे कहा जाता है— हर्डर को
● नेपोलियन फ्रांस का राजा कब बना— 1804 ई.
● नेपोलियन के पिता का नाम क्या था— कार्लो बोनापार्ट
● आधुनिक फ्रांस का जनक किसे कहा जाता है— चार्ल्स डे गॉल
● इंग्लैंड को ‘बनियो का देश’ किसने कहा था— नेपोलियन ने
● ‘राइट्स ऑफ मैन’ के लेखक कौन हैं— टॉमस पेन
● ‘मदर’ की रचना किसने की— मैक्सिको गोकी
● ‘गुलाबों का युद्ध’ कब हुआ— 21 अक्टूबर, 1805 ई.
● मैग्नाकार्टा की घोषणा कब हुई— 1215 ई.
● फ्रांस में राष्ट्रीय दिवस कब मनाया जाता है— 14 जुलाई को
● लुई सोलहवाँ को किस अपराध में फाँसी दी गई— दोशद्रोह के अपराध में
● स्टेट्स जनरल के अधिवेशन का शुभारम्भ कब हुआ— 5 मई, 1789 में
● बैंक ऑफ फ्रांस की स्थापना किसने की— नेपोलियन ने
● नेपोलियन के पतन का कारण क्या था— रूस पर आक्रमण करना
● लिटल कॉरपोरल किसे कहा जाता है— नेपोलियन को
● जर्मनी का सबसे शक्तिशाली राज्य कौन-सा था— प्रशा
● बिस्मार्क को सबसे अधिक भय किससे था— फ्रांस से
● बिस्मार्क को किसने बाजीगगर कहा था— विलियम प्रथम ने
● हिटलर का जन्म कब व कहाँ हुआ था— 20 अप्रैल, 1889 ई., ब्राउनाउ में
● नेशनल सोशलिस्ट जर्मन वर्कर्स पार्टी का गठन कब व किसने किया— 1920 ई., हिटलर ने
● नेशनल सोशलिस्ट जर्मन वर्कर्स पार्टी को अन्य किस नाम से जाना जाता था— नाजी पार्टी
● हिटलर की आत्मकथा का नाम क्या है— मेरा संघर्ष (माई स्ट्रगल)
● जर्मन सुरक्षा परिषद की स्थापना कब हुई— 4 अप्रैल, 1933 ई.
● ‘एक राष्ट्र, एक नेता’ यह नारा किसने दिया— हिटलर ने
● हिटलर की विस्तारवादी नीति का शिकार सर्वप्रथम कौन-सा राष्ट्र हुआ— ऑस्ट्रिया
● हिटलर ने आत्महत्या कब की— 30 अप्रैल, 1945 ई.
● जर्मनी में आर्थिक राष्ट्रवाद का पिता किसे माना जाता है— फ्रेडरिक लिस्ट को
● सात सप्ताह का युद्ध अथवा ऑस्ट्रिया-पर्शिया युद्ध कब हुआ— 1866 में
● जर्मनी का एकीकरण कब हुआ— 18 जनवरी, 1871 ई.
● फ्रैंकफुर्ट की संधि किस-किस के मध्य हुई— फ्रांस और प्रर्शिया के मध्य
● फ्रैंकफुर्ट का संधि कब हुई— 10 मई, 1871 ई.
● चीन में गणतंत्र शासन पद्धति का जन्म कब हुआ— 1911 ई.
● चीन की राष्ट्रपिता किसे कहा जाता है— सनयात सेन
● सनयाता सेन की मृत्यु कब हुई— 1925 ई.
● चीन में गृह युद्ध कब शुरू हुआ— अप्रैल 1927 ई.
● ‘खुले द्वार की नीति’ का जनक किसे माना जाता है— जॉन हे
● चीन में ‘खुले द्वार की नीति’ का जनक किसे माना जाता है— डेंग जियोपिंग
● ‘एशिया आ मरीज’ किसे कहा जाता है— चीन को
● चीन में कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना कब हुई— 1921 ई.
● हूनान के विशाल किसान आंदोलन का नेतृत्व किसने किया— माओत्से तुंग ने
● चीन के जनवादी गणराज्य की राजधानी कहाँ थी— हूनान में
● प्रथम विश्व युद्ध कब आरंभ हुआ— 28 जुलाई, 1914 ई.
● पुनर्जागरण का शुभारंभ कहाँ से हुआ— फ्लोरेंस नगर से (इटली)
● आधुनिक राजनीतिक दर्शन का जनक किसे माना जाता है— मैकियावैली
● मार्टिन लूथर कौन था— एक धर्मसुधारक
● धर्म सुधार आंदोलन का शुभारंभ किस सदी में हुआ— 16 वीं सदी
● धर्म सुधार आंदोलन कहाँ से आंरभ हुआ— इंग्लैंड
● पुनर्जागरण काल में चित्रकला का जनक किसे माना जाता है— जियाटो
● मांइकल एंजलो कौन था— मूर्तिकार एवं चित्रकार
● आधुनिक प्रयोगात्मक विज्ञान का जन्मदाता किसे कहा जाता है— रोजर बेकन
● धर्म सुधार आंदोलन का ‘प्रापःकालीन तारा’ किसे कहा जाता है— जॉन विकलिफ को
● मानववाद का संस्थापक किसे माना जाता है— पेट्रॉक को
● दाँते ने अपने किस प्रसिद्ध काव्य में स्वर्ग व नरक की कथा का काल्पनिक वर्णन किया है— डिवाइन कॉमेडी
● अमेरिका की खोज किसने की— क्रिस्टोफर कोलंबस ने
● अमेरिका ब्रिटिश औपनिवेशिक साम्राज्य की नींव किसने डाली— जेम्स प्रथम ने
● रेड इंडियन कहाँ के मूल निवासी थे— अमेरिका
● अमेरिका का युद्ध किस संधि के द्वारा समाप्त हुआ— पेरिस की संधि
● अमेरिका को पूर्ण स्वतंत्रता कब मिली— 4 जुलाई, 1776 ई.
● अमेरिका में स्वतंत्रता संग्राम के नायक कौन थे— जॉर्ज वाशिंगटन
● अमेरिका के स्वतंत्रता संग्राम का तत्कालिक कारण क्या था— बोस्टन चाय पार्टी
● बोस्टन चाय पार्टी की घटना कब हुई— अमेरिका में
● सर्वप्रथम धर्म रिरपेक्ष राज्य की स्थापना किस देश में हुई— अमेरिका
● विश्व में सर्वप्रथम राज्य की स्थापना किस देश में हुई— अमेरिका
● विश्व में सर्वप्रथम लिखित संविधान किस देश में व कब लागू हुआ— अमेरिका, 1789 ई.
● किस देश ने सर्वप्रथम मानवों की समानता और मौलिक अधिकारों की घोषणा की— अमेरिका ने
● अब्राहम लिंकन अमेरिका के राष्ट्रपति कब बने— 1861 ई.
● अमेरिका में गृह युद्ध कब शुरू हुआ— 12 अप्रैल, 1861 ई.
● अमेरिका का गृह युद्ध कब समाप्त हुआ— 26 मई, 1865 ई.
● अब्राहम लिंकन के दास प्रथा का अंत कब किया— 1863 ई.
● ‘प्रजातंत्र जनता के लिए जनता द्वारा जनता का शासन है’ यह किसने कहा था— अब्राहम लिंकन
● अमेरिका फिलोसोफिकल सोसाइटी की स्थापना किसने की थी— बेंजामिन फ्रेंकलिन
● अमेरिका में स्वतंत्रता के दौरान क्या नारा था— प्रतिनिधित्व नहीं तो कर नहीं
● अमेरिका में गृह युद्ध कहाँ से आरंभ हुआ— दक्षिणी कैरोलिना राज्य से
● ‘मैं ही राज्य हूँ और मेरे शब्द ही कानून हैं’ ये शब्द किसके हैं— लुई चौदहवाँ
● टैले क्या था— एक प्रकार का कर



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भारतीय इतिहास की महत्वपूर्ण तिथियाँ

भारतीय इतिहास की महत्वपूर्ण तिथियाँ

● 2500-1750 ई.पू. : सिंधु सभ्यता की विस्तार अवधि.
● 1500-600 ई.पू. : वैदिक सभ्यता की विस्तार अवधि.
● 599 ई. पू. : महावीर स्वामी का जन्म.
● 563 ई. पू. : महात्मा बुद्ध का जन्म.
● 326 ई. पू. : सिंकदर का भारत पर आक्रमण.
● 269 ई. पू. : अशोक की ताजपोशी.
● 57 ई. पू. : विक्रमी संवत् की शुरूआत.
● 78 ई. पू. : शक संवत् की शुरूआत.
● 320 ई. : गुप्त साम्राज्य की शुरूआत.
● 622 ई. : हिजरी संवत् की शुरूआत.
● 629-645 ई. : ह्नेनसांग की भारत यात्रा.
● 712 ई. : मुहम्मद बिन कासिम का भारत पर आक्रमण.
● 1001 ई. : महमूद गजनी (गजनवी) का पहला आक्रमण.
● 1027 ई. : महमूद गजनी का अंतिम आक्रमण .
● 1178 ई. : पृथ्वीराज चौहान का दिल्ली पर शासन प्रारंभ.
● 1191 ई. : तराईन की पहली लड़ाई में पृथ्वीराज द्वारा मोहम्मद गोरी पराजित.
● 1192 ई. : तराईन की दूसरी लड़ाई में पृथ्वीराज चौहान मोहम्मद गोरी से पराजित.
● 1206 ई. : कुतुबुद्दीन ऐबक दिल्ली का पहला मुस्लिम सम्राट बना.
● 1210 ई. : कुतुबद्दीन ऐबक का पुत्र आरामशाह अपने बहनोई इल्तुतमिश द्वारा सत्ताच्युत.
● 1236 ई. : इल्तुतमिश का निधन.
● 1236-1240 ई. : रजिया बेगम का शासनकाल.
● 1246-1240 ई. : नसीरुद्दीन महमूद का शासन.
● 1266-1287 ई. : ग्यासुद्दीन बलबन का शासन.
● 1290 ई. : खिलजियों द्वारा बलबन के पोते कैकूबाद की हत्या, जलालुद्दीन खिलजी द्वारा खिलजी शासन की स्थापना.
● 1296 ई. : अलाउद्दीन खिलजी का दिल्ली के सिंहासन पर कब्जा.
● 1316 ई. : अलाउद्दीन खिलजी की मृत्यु.
● 1320 ई. : गाजी मलिक तुगलक द्वारा तुगलक वंश की स्थापना.
● 1325 ई. : मुहम्मद बिन तुगलक गद्दीनशीन.
● 1327 ई. : मुहम्मद बिन तुगलक द्वारा अपनी राजधानी देवगिरि (दौलताबाद) स्थानांतरित, कुछ समय बाद राजधानी दिल्ली वापस.
● 1336 ई. : विजयनगर साम्राज्य की हरिहर और बुक्का द्वारा स्थापना.
● 1347 ई. : अलाउद्दीन बहमनी शाह द्वारा बहमनी सल्तनत की स्थापना.
● 1351 ई. : मुहम्मद तुगलक का सिंध में निधन.
● 1398 ई. : दिल्ली पर तैमूर का आक्रमण, फिरोजाबाद, हरिद्वार, मेरठ और जम्मू में भीषण तबाही व रक्तपात.
● 1414 ई. : खिज्र खाँ द्वारा सैयद वंश की स्थापना.
● 1451 ई. : पहले अफगान सुल्तान के रूप में बहलोल लोदी गद्दीनशीन.
● 1459-1511 ई. : गुजरात के महान राजा सुल्तान महमूद बेगम ने अपने शासनकाल में मिस्त्र की सेनाओं के साथ मिलकर पुर्तगाली सेनाओं को हराया पर बाद में दीव में उन्हें एक कारखाना लगाने की अनुमति दे दी.
● 1489-1510 ई. : जार्जिया के गुलाम युसुफ आदिल शाह ने बीजापुर साम्राज्य की स्थापना की, उन्हें अपने समय के अच्छे शासकों में गिना जाता है.
● 1440-1518 ई. : महान सूफी कवि दार्शनिक कबीर का समय. कबीर ने अल्लाह और भगवान को एक ही बताते हुए इन धर्मों की कुरीतियों पर कड़ा प्रहार किया.
● 1469-1539 ई. : गुरु नानक ने अपनी शिक्षाओं से लोगों को काफी प्रभावित किया और आगे चलकर सिख धर्म की स्थापना की.
● 1484 ई. : सूरदास का जन्म हुआ, सूरदास ने कृष्ण भक्ति को एक नया आयाम दिया.
● 1498 ई. : वास्को डि गामा का भारत आगमन, उसके आगमन से ही भारत में पश्चिम का प्रादुर्भाव हुआ.
● 1510 ई. : पुर्तगालियों द्वारा गोवा पर कब्जा, अल्बुकर्क गवर्नर नियुक्त किया.
● 1526 ई. : इब्राहिम लोदी और बाबर के बीच पानीपत की पहली लड़ाई, बाबर द्वारा मुगल साम्राज्य की स्थापना, आगरा राजधानी के रूप में स्थापित.
● 1527 ई. : खानवा की लड़ाई में मेवाड़ के राजा राणा सांगा बाबर से पराजित.
● 1529 ई. : बाबर द्वारा घाघरा की लड़ाई में महमूद लोदी पराजित.
● 1530 ई. : बाबर का निधन, हुमायूँ द्वारा कालिंजर का शासक प्रताप रुद्रेदव पराजित.
● 1539 ई. : चौसा की लड़ाई में हुमायूँ शेरशाह से पराजित.
● 1540 ई. : बिलग्राम (कन्नौज) की लड़ाई में हुमायूँ शेरशाह सूरी से पराजित, शेरशाह का शासन प्रारंभ.
● 1545 ई. : कालिंजर की लड़ाई में विस्फोट से घायल होने के बाद शेरशाह की मृत्यु.
● 1555 ई. : हुमायूँ का दिल्ली पर पुन: कब्जा.
● 1556 ई. : सीढ़ियों से गिरने से हूमायूँ की मृत्यु, पानीपत की दूसरी लड़ाई में आदिलशाह सूरी के मंत्री हेमू की मुगल प्रधानमंत्री बैरम खाँ के हाथों पराजय.
● 1560 ई. : बैरम खां के हाथों से अकबर ने सत्ता अपने हाथों में ली.
● 1564 ई. : अकबर ने हिंदुओं के ऊपर से जजिया कर हटाया.
● 1576 ई. : हल्दी घाटी की लड़ाई.
● 1582 ई. : अकबर द्वारा दीन-ए-इलाही नामक धर्म का प्रसार.
● 1600 ई. : अंग्रेजों की ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना.
● 1605 ई. : अकबर का निधन.
● 1609 ई. : हालैंड की कंपनी द्वारा पुलीकट में फैक्ट्री स्थापित.
● 1611 ई. : अंग्रेजों की कंपनी द्वज्ञरा मसूलीपटनम् में फैक्ट्री स्थापित.
● 1613 ई. : जहांगीर द्वारा ईस्ट इंडिया कंपनी को सूरत में फैक्ट्री स्थापित करने की आज्ञा.
● 1615 ई. : सर टॉमस रो मुगल दरबार में पहले अंग्रेज राजदूत नियुक्ति.
● 1627 ई. : कश्मीर के पास जहांगीर की मृत्यु.
● 1628. : शाहजहां (खुर्रम) गद्दीनशीन.
● 1639 ई. : अंग्रेजों की कंपनी द्वारा मद्रास में फोर्ट सेंट जॉर्ज की स्थापना.
● 1646 ई. : मुगल राजधानी आगरा से दिल्ली स्थानांतरित.
● 1653 ई. : ताजमहल बनकर पूरा हुआ.
● 1668 ई. : औरंगजेब आलमगीर नया मुगल बादशाहऋ सूरत में फ्रांसीसियों की प्रथम फैक्ट्री स्थापित.
● 1659 ई. : मराठा राजा शिवाजी द्वारा बुद्धिमत्ता से अफजल खाँ की हत्या.
● 1666 ई. : शाहजहाँ की मृत्यु.
● 1677 ई. : औरंगजेब द्वारा सरकारी नौकरियों में हिंदुओं के प्रवेश पर रोक.
● 1679 ई. : हिंदुओं पर जजिया कर पुन: लागू.
● 1680 ई. : शिवाजी का निधन.
● 1690 ई. : औरंगजेब द्वारा कलकत्ता में एक व्यापारिक केंद्र की स्थापना.
● 1707 ई. : औरंगजेब की अहमदनगर में मृत्यु.
● 1708 ई. : सिखों के धर्मगुरु गुरु गोविंद सिंह की हत्या.
● 1713-19 ई. : फर्रूखसियर का शासन.
● 1739 ई. : फारस के शासक नादिरशाह का भारत पर आक्रमण.
● 1748 ई. : प्रथम अंग्रेज-फ्रांसीसी युद्ध.
● 1757 ई. : प्लासी का युद्ध, अंग्रेजों द्वारा बंगाल का नवाब सिराजुउद्दौला पराजित.
● 1760 ई. : वांडीवाश का युद्ध, अंग्रेजों के हाथों फ्रांसीसियों की हार.
● 1761 ई. : पानीपत का तीसरी लड़ाई में अहमदशाह अब्दाली द्वारा मराठे पराजित.
● 1764 ई. : बक्सर की लड़ाई में अंग्रेजों द्वारा शाह आलम द्वितीय, शुजाउद्दौला और मीर कासिम पराजित.
● 1765 ई. : अंग्रेजों को बंगाल, बिहार और उड़ीसा की दीवानी हासिल, क्लाइव बंगाल का गवर्नर नियुक्त.
● 1766 ई. : अंग्रेजों का कर्नाटक में उत्तरी सरकार पर अधिकार.
● 1767-79 ई. : प्रथम मैसूर युद्ध, अंग्रेज मैसूर के हैदर अली के साथ अपमानजनक शर्तों पर संधि करने पर मजबूर.
● 1772 ई. : वॉरेन हेस्टिंग्स बंगाल का गवर्नर नियुक्त.
● 1773 ई. : ब्रिटिश संसद द्वारा रेग्यूलेटिंग एक्ट पास.
● 1775-82 ई. : प्रथम अंग्रेज-मराठा युद्ध, सालबाई की संधि.
● 1780-84 ई. : दूसरा मैसूर युद्ध, हैदर अली की मृत्यु.
● 1784 ई. : पिट्स का इंडिया एक्ट.
● 1790-92 ई. : अंग्रेजों और टीपू के बीच तीसरा मैसूर युद्ध, श्रीरंगपट्टम की संधि.
● 1793 ई. : बंगाल का स्थायी बंदोबस्त.
● 1798 ई. : वेलेजली भारत का गवर्नर जनरल नियुक्त.
● 1799 ई. : चौथा मैसूर युद्ध, अंग्रेजों द्वारा टीपू की हार, टीपू की मृत्यु, मैसूर का विभाजन.
● 1801 ई. : अंग्रेजों द्वारा कर्नाटक का विलय.
● 1803-06 ई. : दूसरा अंग्रेज-मराठा युद्ध , आर्थर वेलेजली के नेतृत्व में अंग्रेजों द्वारा ‘असई’ नामक स्थान पर मराठों की बुरी तरह हार.
● 1817-19 ई. : तीसरा अंग्रेज मराठा युद्ध, अंग्रेजों द्वारा मराठों की पूर्ण रूप से पराजय.
● 1828 ई. : लॉर्ड विलियम बैंटिंक गवर्नर-जनरल नियुक्त, सामाजिक सुधारों का काल शुरूऋ सती निषेध (1829), ठगों का दमन (1837).
● 1845-46 ई. : प्रथम अंग्रेज-सिख युद्ध, सिखों की हार.
● 1848 ई. : लॉर्ड डलहौजी गवर्नर-जनरल नियुक्त.
● 1848-49 ई. : द्वितीय अंग्रेज-सिख युद्ध, सिखों की हार.
● 1848 ई. : अंग्रेजों द्वारा पंजाब की विलय.
● 1853 ई. : भारत में बंबई से थाणे के बीच पहली रेल की शुरूआत.
● 1854 ई. : चाल्र्सवुड डिस्पैच (शिक्षा पर).
● 1857-58 ई. : स्वाधीनता की पहली लड़ाई.
● 1858 ई. : ब्रिटिश सम्राट द्वारा भारत में अंग्रेजी राज्य को अपने हाथों में लेने की घोषणा, महारानी विक्टोरिया का घोषणा-पत्र.
● 1861 ई. : इंडियन काउंसिल एक्ट, इंडियन हाईकोट्र्स ऐक्ट, इंडियन पीनल कोड.
● 1877 ई. : दिल्ली दरबार.
● 1878 ई. : वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट.
● 1881 ई. : प्रथम फैक्ट्री एक्ट, मैसूर राज्य उसके असली शासके के सुपुर्द.
● 1882-83 ई. : हंटर आयोग का गठन.
● 1885 ई. : इंडियन नेशनल कांग्रेस का पहला अधिवेशन.
● 1892 ई. : भारत के प्रशासक को विनियमित करने हेतु इंडियन काउंसिल एक्ट.
● 1899 ई. : लॉर्ड कर्जन गवर्नर-जनरल और वायसराय नियुक्त.
● 1904 ई. : भारतीय विश्वविद्यालय अधिनियम.
● 1905 ई. : बंगाल का प्रथम विभाजन.
● 1906 ई. : मुस्लिम लीग की स्थापना.
● 1907 ई. : कांग्रेस का सूरत अधिवेशन, कांग्रेस में प्रथम विभाजन (दो दलों में बँटी-नरम और गरम दल).
● 1909 ई. : मार्ले-मिंटो सुधार.
● 1911 ई. : दिल्ली में सम्राट जार्ज और साम्राज्ञी मेरी का दरबार, बंगाल विभाजन रद्द और बंगाल प्रेसीडेंसी का निर्माण, देश की राजधानी कलकता से हटाकर दिल्लीस्थानांतरित.
● 1914 ई. : प्रथम विश्वयुद्ध शुरू.
● 1918 ई. : प्रथम विश्व युद्ध समाप्त.
● 1919 ई. : रौलेट एक्ट के विरुद्ध देशव्यापी विरोध, जलियाँवाला बाग का हत्याकांड.
● 1920 ई. : कांग्रेस द्वारा असहयोग आंदोलन की स्वीड्डति, विद्यार्थियों द्वारा कॉलेज और वकीलों द्वारा वकालत का त्याग, सुधारों के प्रति जन-असंतोष प्रदर्शित करने हेतु ● ब्रिटिश कपड़ों का होलिका दहन.
● 1921 ई. : मालाबार में मोपला विद्रोह, प्रिंस ऑफ वेल्स की भारत यात्रा, राष्ट्रव्यापी हड़ताल, भारत में जनगणना, प्रथम बार जनसंख्या ह्नांस.
● 1922 ई. : असहयोग आंदोलन, कांग्रेस द्वारा गाँधीजी आंदोलन के एकमात्र नेता घोषित, चौरी-चौरा में हिंसा, गाँधी जी द्वारा आंदोलन स्थगित.
● 1923 ई. : चितरंजनदास और मोतीलाल नेहरू द्वारा स्वराज पार्टी का निर्माण.
● 1927 ई. : इंडियन नेवी एक्ट, साइमन कमीशन की नियुक्ति.
● 1928 ई. : साइमन कमीशन का भारत आगमन, सभी दलों द्वारा कमीशन का बहिष्कार.
● 1929 ई. : कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में आजादी की माँग.
● 1930 ई. : 26 जनवरी को पहली बार सारे देश में स्वाधीनता दिवस का आयोजन, सविनय अवज्ञा आंदोलन प्रारंभ, गाँधी जी द्वारा दांडी मार्च-नमक सत्याग्रह, सरकार का दमन चक्र, प्रथम गोलमेज सम्मेल.
● 1931 ई. : गाँधी-इरविन समझौता, दूसरा गोलमेज सम्मेलन.
● 1932 ई. : कांग्रेज आंदोलन को कुचलने का प्रयास, तीसरा गोलमेज सम्मेलन, सांप्रदायिक निर्णय, पूना समझौता.
● 1934 ई. : सविनय अवज्ञा आंदोलन की वापसी.
● 1935 ई. : गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट.
● 1937 ई. : प्रांतीय स्वायत्तता का उद्घाटन, बहुसंख्य प्रांतों में कांग्रेस की सरकारें सत्तासीन.
● 1939 ई. : दूसरा विश्व युद्ध शुरू, कांग्रेस सरकार द्वारा त्यागपत्र, भारत में राजनीतिक गतिरोध.
● 1942 ई. : भारत में क्रिप्स मिशन का दौरा, कांग्रेस और मुस्लिम लीग द्वारा क्रिप्स मिशन के प्रस्ताव का विरोध, कांग्रेस द्वारा भारत छोड़ो प्रस्ताव पास
● 1943 ई. : लॉर्ड वेवेल भारत के वायसराय और गवर्नर-जनरल नियुक्त, समझौते के लिए वेवेल का प्रस्ताव, कांग्रेस और मुस्लिम लीग द्वारा वेवेल प्रस्ताव से असहमति.
● 1945 ई. : शिमला सम्मेलन, वेवल योजना की असफलता, लाल किले में आजाद हिन्द फौज के सैनिक अधिकारियों पर मुकदमा.
● 1946 ई. : ब्रिटिश कैबिनेट मिशन का भारत आगमन, केंद्र में अंतरिम सरकार की स्थापना, दिल्ली में 9 दिसंबर को संविधान सभा का उद्घाटन.
● 1947 ई. : भारत द्वारा स्वतंत्रता प्राप्ति (15 अगस्त), भारत का विभाजन पाकिस्तान का जन्म.



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Thursday, February 18, 2016

भारतीय इतिहास के सभी कालों से महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर History, General Knowledge, UPPSC

भारतीय इतिहास के सभी कालों से महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर

History, General Knowledge, UPPSC,

भक्ति आंदोलनसंपादित करें

  1. भक्ति आंदोलन के प्रतिपादक कौन थे  रामानुज आचार्य
  2. पंजाब में भक्ति आंदोलन के जनक कौन थे  गुरु नानक
  3. कबीर के गुरु कौन थे  रामानंद
  4. कबीर का जन्म कहाँ हुआ  लहरतारा (काशी)
  5. कबीर की मृत्यु कहाँ हुई थी  मगहर (संतकबीरनगर, उ.प्र.)
  6. महाराष्ट्र में भक्ति संप्रदाय किसकी शिक्षाओं द्वारा फैला  संत ज्ञानेश्वर
  7. भक्ति आंदोलन को दक्षिणी भारत से लाकर उत्तर भारत तक प्रचारित करने वाले कौन थे  रामानंद
  8. चैतन्य महाप्रभु किस संप्रदाय से जुड़े थे  गौडीय संप्रदाय
  9. पुष्टि मार्ग के दर्शन की स्थापना किसने की  वल्लभाचार्य
  10. किस संत ने ईश्वर को अपने पास अनुभव के लिए कीर्तन को अपना माध्यम बनाया  चैतन्य महाप्रभु
  11. अद्वैतवाद के सिद्धांत का प्रतिपादन किसने किया शंकराचार्य ने
  12. भक्ति आंदोलन के दौरान असम में भक्ति आंदोलन को किसने चलाया  शंकर देव
  13. गुरु नानक का धर्मोपदेश क्या था  मानव बंधुत्व
  14. किस भाषा को लोकप्रिय बनाने के लिए चंडीदास ने योगदान दिया  बंगाली
  15. रामानुज के अनुयायी को क्या कहा जाता था  वैष्णव
  16. ‘बीजक’ के रचियता कौन है  कबीरदास
  17. महात्मा बुद्ध व मीराबाई के जीवन दर्शन में कौन-सी मुख्य विशेषता समान थी  संसार का दुखपूर्ण होना
  18. प्रसिद्ध भक्ति रस कवयित्री मीराबाई किसकी पत्नी थी राजकुमार भोजराज
  19. ‘यदि संस्कृत मातृभाषा है तो क्या मेरी मातृभाषा दस्युभाषा है’ यह किसका कथन है  एकनाथ का
  20. भक्त तुकाराम किस मुगल सम्राट के समकालीन थे जहाँगीर
  21. किस संत ने अपने भक्ति संदेशों के प्रचार के लिए हिंदी का प्रयोग किया  रामानंद
  22. शिवाजी के आध्यात्मिक गुरु कौन थे  रामदास
  23. ‘दास बोध’ के रचियता कौन हैं  रामदास
  24. गुरु नानक का जन्म कब हुआ  1469 ई.
  25. गुरु नानक का जन्म कहाँ हुआ  तलवंडी
  26. सिख धर्म का संस्थापक किस सिख गुरु को माना जाता है गुरु नानक
  27. अमृतसर शहर का निर्माण किसने कराया था  गुरु रामदास
  28. किस धर्म गुरु को इस्लाम न अपनाने के कारण अपना शीष कटवाना पड़ा था  गुरु तेग बहादुर
  29. महात्मा गाँधी के प्रिय भजन ‘जो पीर पराई जाने रे’ के रचियता कौन हैं  नरसिंह मेहता
  30. नरसिंह मेहता कहाँ के प्रमुख संत थे  गुजरात
  31. ‘असम का चैतन्य’ किसे कहा जाता है  शंकद देव को
  32. मुगल शासक मुहम्मदशाह किस संप्रदाय की अनुयायी था शिव नारायण का
  33. गुरुनानक का जन्म स्थल तलवंडी नामक स्थान अब किस नाम से विख्यात है  ननकाना साहिब
  34. ‘रामचरित्र मानस’ नामक ग्रंथ की रचना किसने की तुलसीदास ने
  35. तुलसीदास का जन्म कहाँ हुआ  बाँदा जिले के राजापुर गाँव में
  36. ‘रायदासी’ संप्रदाय की स्थापना किसने की  रैदास ने
  37. दैरास किसके शिष्य थे  रामानंद के
  38. ‘निपख’ नामक आंदोलन किस धर्म गुरु ने चलाया दादूदयाल ने
  39. सिखों के दसवें गुरु कौन थे  गुरु गोविंद सिंह
  40. धर्म दीक्षा विधि ‘पाहुल’ की स्थापना किसने की  गुरु गोविंद सिंह ने
  41. सिखों का प्रमुख त्यौहार कौन-सा है  बैसाखी
  42. किस सिख गुरु ने पंजाबी भाषा के लिए गुरमुखी लिपि की शुरुआत की  गुरु रामदास ने

विजयनगर साम्राज्यसंपादित करें

  1. विजयनगर साम्राज्य की स्थापना कब व किसने की  1336 ई., हरिहर एवं बुक्का द्वारा
  2. विजयनगर साम्राज्य का सबसे प्रभावशाली शासक कौन था कृष्णादेव राय
  3. कृष्णदेव राय शासक कब बना  1509 ई. में
  4. कृष्णदेव राय के किन यूरोपवासियों के साथ मैत्रिपूर्ण संबंध थे पुर्तगालियों के साथ
  5. विजयनगर किस नदी के तट पर स्थित है  तुंगभद्रा नदी
  6. बहमनी राजाओं की राजधानी कहाँ थी  गुलबर्गा में
  7. विजयनगर साम्राज्य के अवशेष कहाँ प्राप्त हुए  हंपी में
  8. बीजापुर में स्थित ‘गोल गुंबज’ का निर्माण किसने किया मोहम्मद आदिलशाह
  9. कृष्णदेव राय किसके समकालीन थे  बाबर के
  10. विजयनगर साम्राज्य का पहला वंश संगम के नाम से जाना जाता है क्योंकि  हरिहर एवं बुक्का के पिता का नाम संगम था
  11. हरिहर एवं बुक्का ने किस संत के प्रभाव में आकर विजयनगर साम्राज्य की स्थापना की  माधव विधारण्य
  12. संगम वंश का प्रमुख शासक कौन था  देवराय प्रथम
  13. किस शासन ने तुंगभद्रा नदी पर बाँध बनवाया  देवराय प्रथम ने
  14. विजय नगर का संघर्ष सदैव किसके साथ रहा  बहमनी राज्य के साथ
  15. विजयनगर साम्राज्य का कौन-सा स्थान गलीचा निर्माण के लिए प्रसिद्ध था  कालीकाट
  16. मीनाक्षी मंदिर कहाँ स्थित है  मदुरै
  17. ‘चार मीनार’ का निर्माण किसने कराया  ओली कुतुबशाह
  18. गोलकुंडा कहाँ स्थित है  हैदराबाद
  19. हंपी का खुला संग्राहालय किस राज्य में है  कर्नाटक
  20. किस संगमवशी शासक को ‘प्रौढ़देवराय’ भी कहा जाता है देवराय द्वितीय
  21. किस शासक की उपाधि ‘गजबेतेकर’ थी  देवराय द्वितीय
  22. किस विजयनगर सम्राट ने उम्मात्तूर के विद्रोही सामंत गंगराय का दमन किया  कृष्ण देवराय
  23. गोलकुंडा का युद्ध किस-किस के बीच लड़ा गया  कृष्ण देवराय एवं कुलीकुतुबशाह के बीच
  24. विजयनगर साम्राज्य की वित्तीय विशेषता क्या थी  भू-राजस्व
  25. ‘अठवण’ का क्या अर्थ है  भू-राजस्व विभाग
  26. कृष्णदेव राय के दरबार में ‘अष्टदिग्गज’ कौन थे  आठ तेलुगु कवि
  27. शर्क सुल्तानों के शासनकाल में किस स्थान को ‘पूर्व का शिराज’ या ‘शीराज-ए-हिन्द’ कहा जाता था  जौनपुर
  28. बहमनी राज्य की स्थापना किसने की  अलाउद्दीन हसन बहमन शाह (हसन गंगू)
  29. कश्मीर का कौन-सा शासक ‘कश्मीर का अकबर’ के नाम से जाना जाता है  जैनुल आबिदीन
  30. ‘आमुक्तमालाद’ नामक काव्य की रचना किसने की कृष्णदेव राय ने
  31. कृष्णदेव राय ने ‘आमुक्तमालाद’ की रचना किस भाषा में की तेलुगू
  32. कृष्णदेव राय का राजकवि कौन था  पेदन्ना
  33. विजयनगर के किस शासक को ‘आंध्र पितामह’ कहा जाता है  कृष्णदेव राय को
  34. किस युद्ध को विजयनगर साम्राज्य शासन का अंत माना जाता है  तालीकोटा का युद्ध
  35. ‘तालीकोटा का युद्ध’ कब हुआ  1565 ई.
  36. विट्ठल स्वामी का मंदिर किस देवता का है  विट्ठल के रूप में विष्णु का
  37. ‘शैवों का अजंता’ किसे कहा जाता है  लिपाक्षी को
  38. ‘वीर पांचला’ का अर्थ क्या है  अभिजात्य वर्ग
  39. ‘अनरम’ का अर्थ किससे है  जागीर से
  40. विजयनगर साम्राज्य में सैनिक विभाग को किस नाम से जाना जाता था  कदाचार
  41. खानदेश राज्य का संस्थापक कौन था  मलिक रजा फारुकी
  42. तैमूर लंग के आक्रमण के बाद गंगा की घाटी में कौन-सा राज्य स्थापित हुआ  जौनपुर
  43. ‘अहमदाबाद’ की स्थापना किसने की  अहमदशाह I
  44. ‘महमूद वेगड़ा’ किस राज्य का प्रसिद्ध सुल्तान था  गुजरात का
  45. बहमनी शासन को किस शासक ने चरम पर पहुँचाया महमूद गांवा
  46. बहमनी साम्राज्य से सबसे पहले कौन-सा राज्य स्वतंत्र हुआ बरार
  47. ‘टोडरमल का पूर्वगामी’ किसे कहा जाता है  महमूद गांवा
  48. अदीना मस्जिद कहाँ स्थित है  बंगाल में
  49. विजयनगर का प्रसिद्ध विट्ठल मंदिर कहाँ स्थित है  हंपी में
  50. बहमनी साम्राज्य में सबसे अंत में कौन-सा राज्य स्वतंत्र हुआ बीदर
  51. प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थल हंपी किस जिले में स्थित है वेल्लारी में
  52. अबिनव भोज की उपाधि किस शासक ने ग्रहण की कृष्णदेव राय ने
  53. तालीकोटा के युद्ध में विजयनगर का नेतृत्व किसने किया रामराय ने
  54. किस शासन में वर व वधु दोनों से कर लिया जाता था विजयनगर के शासन में
  55. विजयनगर की मुद्रा का नाम क्या था  पेगोड़ा
  56. बहमनी राज्य की मुद्रा क्या थी  हूण
  57. बहमनी शासन में कौन रूसी यात्री आया  निकितन
  58. बहमनी राज्य में कुल कितने शासक हुए  18
  59. ‘हरविलासम’ की रचना किसने की  श्रीनाथ ने
  60. किस शासक ने दहेज प्रथा को अवैधानिक घोषित किया देवराय II
  61. किस शासक को ‘जालिम’ शासक के रूप में जाना जाता है हुमायूँ शाह

सल्तनत कालसंपादित करें

  1. मोहम्मद गौरी विजयी प्रदेशों की देशभाल के लिए किस विश्वसनीय जनरल को छोड़कर गया था  कुतुबुद्दीन ऐबक
  2. भारत में मुस्लिम शासन की नींव किसने डाली  मोहम्मद गौरी
  3. मोहम्मद गौरी का अंतिम आक्रमण किसके विरुद्ध था पंजाब के खोखर
  4. भारत में गुलाम वंश की स्थापना किसने की  1206 ई. में कुतुबुद्दीन ऐबक ने
  5. दिल्ली सल्तनत की दरबारी भाषा क्या थी  फारसी
  6. आगरा शहर का निर्माण किसने कराया  सिकंदर लोदी ने
  7. किस सुलतान की मृत्यु ‘चौगान’ खेलते समय हुई  कुतुबुद्दीन ऐबक
  8. कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद का निर्माण किसने कराया कुतुबुद्दीन ऐबक
  9. ‘कुतुबमीनार’ कहाँ स्थित है  दिल्ली
  10. ‘कुतुबमीनार’ का शुभारंभ किसने किया  कुतुबुद्दीन ऐबक
  11. ‘कुतुबमीनार’ को पूरा किसने करवाया  इल्तुतमिश ने
  12. रजिया सुल्तान किसी बेटी थी  इल्तुतमिश
  13. किसके शासन काल में सबसे अधिक मगोल अक्रमण हुए अलाउद्दीन खिलजी
  14. सांकेतिक मुद्रा का चलन किसने किया  मोहम्मद बिन तुगलक
  15. किस सुल्तान को इतिहासकारों ने विरोधों का मिश्रण कहा मोहम्मद बिन तुगलक
  16. लोदी वंश का अंतिम शासक कौन था  इब्राहिम लोदी
  17. ‘इनाम’ भूमि किसे दी जाती थी  विद्धान एवं धार्मिक व्यक्ति को
  18. दिल्ली की गद्दी पर बैठने वाली प्रथम महिला शासक कौन थी  रजिया सुल्तान
  19. दिल्ली के किस सुल्तान ने दक्षिणी भारत को पराजित करने का प्रयास किया  अलाउद्दीन खिलजी
  20. विदेशी यात्री इब्नबतूता कहाँ से आया था  मोरक्को से
  21. इब्नबतूता किसके शासन में भारत आया  मोहम्मद बिन तुगलक
  22. किस शासक ने अपने आप को ‘खलीफा’ घोषित किया मुबारकशाह खिलजी
  23. खिलजी वंश की स्थापना कब व किसने की  13 जून, 1290 ई. को जलालुद्दीन फिरोज खिलजी ने
  24. भारतीय इतिहास में बाजार/मूल्य नियंत्रण पद्धति की शुरुआत किसके द्वारा की गई  अलाउद्दीन खिलजी
  25. अलबरुनी का पूरा नाम क्या था  अबूरैहान मुहम्मद
  26. ‘11 वीं सदी के भारत का दर्पण’ किसे कहा जाता है किताब उल-हिंद
  27. दिल्ली सल्तन के किस शासक ने स्थायी सेना बनाई अलाउद्दीन खिलजी
  28. ‘गुलऊखी’ के उपनाम से कौन-सा शासक कविताएँ लिखत था  सिकंदर लोदी
  29. अलाई दरवाजा किसका मुख्य द्वार है  कुतुबमीनार का
  30. जलालुउद्दीन फिरोज खिलजी की हत्या किसने की अलाउद्दीन खिलजी ने
  31. अलाउद्दीन के आक्रमण के समय देवगिरि का शासक कौन था  रामचंद्र देव
  32. सल्तनत काल में भू-राजस्व का सर्वोच्च ग्रामीण अधिकारी कौन था  मलिक
  33. तैमूर लंक ने भारत पर आक्रमण कब किया  1398 ई.
  34. किस सुल्तान के दरबार में सबसे अधिक गुलाम थे  बलबन
  35. किस सुल्तान ने बेरोजगारों को रोजगार दिया  फिरोजशाह तुगलक
  36. किस शासक को भारत के इतिहास में ‘बुद्धिमान पागल’ शासक कहा जाता है  मोहम्मद बिन तुगलक
  37. कौन-सा शासक अपनी राजधानी दिल्ली से दौलताबाद ले गया था  मोहम्मद बिन तुगलक
  38. ‘तुगलकनामा’ की रचना किसने की  अमीर खुसरो
  39. अमीर खुसरों ने किस भाषा के विकास में अग्रणी भूमिका निभाई  खड़ी बोली
  40. भारत में पोलो खेल का शुभारंभ किसके समय में हुआ तुर्कों के समय
  41. कौन-सा शासक दान-दक्षिणा में अधिक विश्वास रखता था तथा उसने ‘दिवान-ए-खैरात’ नामक विभाग की स्थापना की फिरोजशाह तुगलक
  42. किस संगीत यंत्र को हिंदू-मुस्लिम गान का सर्वश्रेष्ठ यंत्र माना गया है  सितार को
  43. संगीत की ‘हिन्दुस्तानी’ शैली के जन्मदाता कौन हैं  अमीर खुसरो
  44. संगीत की ‘कव्वाली’ शैली के जन्मदाता कौन है  अमीर खुसरो
  45. अनुकूल परिस्थितियाँ होने पर भी गुलाम वंश के शासक अपने साम्राज्य का विस्तार क्यों नहीं कर पाए  मंगोल आक्रमण का भय होने के कारण
  46. किस शासक को द्वितीय सिकंदर अथवा ‘सिकंदर सानी’ कहा जाता है  अलाउद्दीन खिलजी
  47. सिक्कों पर ‘खलीफा का नायब’ किस सुल्तान को माना गया फिरोजशाह-तुगलक
  48. ‘अढ़ाई दिन का झोपड़ा’ नामक मस्जिद किस शासक ने बनवाई  कुतुबुदीन ऐबक
  49. कौन-सा शासक स्वयं को ‘ईश्वर का अभिशाप’ कहता था चंगेज खाँ
  50. मध्यकालीन भारतीय राजाओं के संदर्भ में फिरोज तुगलक के शासन की विशेषता क्या थी  गुलामों के लगल विभाग ‘दीवान-ए-बंदगान’ की स्थापना
  51. दिल्ली का वह सुल्तान जिसने भारत में नहरों का जाल बिछाया, कौन था  फिरोजशाह तुगलक
  52. किसके कहने पर अलाउद्दीन खिलजी ने सिकंदर के समान विश्व विजय की योजना को ठुकरा दिया  अलाउक मुल्क
  53. किस शासक ने सैनिकों को भू-अनुदान के स्थान पर नगद वेतन देने की प्रथा चलाई  अलाउद्दीन खिलजी ने
  54. किसने भूमि मापने के पैमाने ‘गज-ए-सिकंदरी’ को प्रचलित किया  सिकंदर लोदी
  55. किस मुस्लिम शासक ने सिक्कों पर लक्ष्मी देवी की आकृति बनवाई  मोहम्मद गौरी
  56. अलाउद्दीन खिलजी का राजदरबारी कवि कौन था  अमीर खुसरो
  57. किस शासक ने अपना उपनाम ‘अबुल मजहिद्’ रखा मुहम्मद बिन तुगलक
  58. मुहम्मद बिन तुगलक की मृत्यु कहाँ हुई  थट्टा में
  59. रजिया बेगम को मारने में किसका हाथ था  बहरामशाह
  60. ‘जवाबित’ किससे संबंधित है  राज्य कानून से
  61. अलाउद्दीन के बचपन का नाम क्या था  अली गुरशप
  62. कौन-सा शासक बाजार के अंदर घूमकर बाजार का निरीक्षण करता था  अलाउद्दीन खिलजी
  63. किस पुस्तक में मुहम्मद बिन तुगलक के शासन की घटनाओं का वर्णन है  रेहला
  64. जलालुद्दीन फिरोज खिलजी सुल्तान बनने से पहले कहाँ का इक्तादार था  बुलंदशहर का

पूर्व मध्यकालीन भारत (दक्षिण भारत)संपादित करें

  1. चालुक्य वंश का सबसे प्रतापी राजा कौन था  पुलिकेशन II
  2. कौन-सा शहर चोल राजाओं की राजधानी था  तंजौर
  3. श्रीलंका पर विजय प्राप्त करने वाला प्रसिद्ध राजा कौन था राजेंद्र I
  4. तंजौर में स्थित राजराजेश्वर मंदिर का निर्माण किसने कराया राजराजा प्रथम
  5. किस राष्ट्रकूट शासक ने पहाड़ी काटकर एलौरा के विश्वविख्यात कैलाश नाथ मंदिर का निर्माण कराया  कृष्ण प्रथम ने
  6. राष्ट्रकूट साम्राज्य का संस्थापक कौन था  दंतिदुर्ग
  7. किस राजवंश ने श्रीलंका व दक्षिण पूर्व एशिया को जीता चोल वंश
  8. विरुपाक्ष मंदिर का निर्माण किसने कराया  चालुक्य
  9. पल्लवों का एकाश्मीय रथ कौन-सी जगह मिला महाबलिपुरम्
  10. होयसल की राजधानी कहाँ थी  द्वारसमुद्र
  11. यादव सम्राटों की राजधानी कहाँ थी  देवगिरि
  12. किस शासक ने अरब सागर में भारतीय नौसेना की सर्वोच्चता स्थापित की  राजराजा प्रथम
  13. पांड्य साम्राज्य की राजधानी कहाँ थी  मदुरै
  14. ऐहोल का लाढखाँ मंदिर किस देवता का है  सूर्य देवता
  15. माम्मलपुरम् किसका समानार्थी है  महाबलिपुरम्
  16. किस वंश के शासक के पास एक शक्तिशाली नौसेना थी चोलवंश
  17. भगवान नटराज का प्रसिद्ध मंदिर कहाँ स्थित है  चिदंबरम्
  18. राष्ट्रकूटों का पतन किसने किया  तैलप II
  19. प्रशासन के क्षेत्र में चोल वंश की मुख्य देन क्या थी सुसंगठित स्थानीय स्वशासन
  20. तीन मुख वाली ब्रह्मा, विष्णु व महेश की मूर्ति कहाँ स्थित है ऐलीफैंट गुफा में
  21. ‘महाभारत’ का ‘भारत वेणता’ के नाम से किसने तमिल भाषा में अनुवाद किया  पेरुंदेवनार ने
  22. राजेंद्र चोल द्वारा बंगाल अभियान के समय बंगाल का शासक कौन था  महिपाल I
  23. ‘चालुक्य विक्रम संवत्’ का शुभारंभ किसने किया विक्रमाद्वित्य VI ने
  24. पल्लवों की राजभाषा क्या थी  संस्कृत
  25. 12वीं सदी के राष्ट्रकूट वंश के पाँचशिला लेख किस राज्य में मिले  कर्नाटक
  26. कौन-से राजवंश के शासक अपने शासन काल में उत्तराधिकारी नियुक्त कर देते थे  चोल वंश
  27. दक्षिणी भारत का तक्कोलम का युद्ध किस-किस के मध्य हुआ  चोल वंश व राष्ट्रकूटों के मध्य
  28. द्रविड़ शैली के मंदिरों में ‘गोपुरम’ का क्या अर्थ है  तीरण के ऊपर बने अलंकृत एवं बहुमंजिला भवन
  29. चोलों को राज्य कहाँ तक फैला था  कोरोमंडल तट व दक्कन के कुछ भाग तक
  30. चोल शासकों के समय बनी प्रतिमाओं में सबसे विख्यात कौन-सी प्रतिमा थी  नटराज शिव की कांस्य प्रतिमा
  31. चोल युग किसके लिए प्रसिद्ध था  ग्रामीण सभाओं के लिए
  32. किस राजवंश का काल कन्नड़ साहित्य की उत्पत्ति का काल माना जाता है  राष्ट्रकूट
  33. होयसल स्मारक कहाँ है  मैसूर व बैंगालूरू में
  34. चोलों द्वारा किसके साथ घनिष्ठ राजनीति तथा वैवाहिक संबंध स्थापित किए गए  वेंगी के चालुक्य
  35. चोल काल में निर्मित नटराज की कांस्य प्रतिमाओं में देवाकृति कैसी थी  चतुर्भज
  36. चोल साम्राज्य का संस्थापक कौन था  विजयपाल
  37. रुद्रंवा किस राजवंश की प्रसिद्ध महिला शासक थी काकतीय राजवंश की
  38. राजराजा प्रथम का मूल नाम क्या था  अरिमोल वर्मन
  39. चोलयुग में ‘कडिमै’ का अर्थ क्या था  भू-राजस्व/लगान
  40. तंजौर में स्थित राजराजेश्वर मंदिर किस देवता का है  शिव का
  41. चोल युग में किसने ‘हिरण्यगर्भ’ नामक त्यौहार का आयोजन किया  लोकमहादेवी ने
  42. चोल युग में सोने के सिक्के क्या कहलाते थे  कुलंजु
  43. चोल युग में युद्ध में विशेष पराक्रम दिखाने वाले योद्धा को कौन-सी उपाधि दी जाती थी  क्षत्रिय शिखमणि
  44. पुलकेशिन द्वितीय किसके समकालीन था  हर्षवर्धन
  45. काँची के कैलाशनाथ मंदिर का निर्माण किसने कराया नरसिंह वर्मन II
  46. होयसल वंश का अंतिम शासक कौन था  बल्लाल III
  47. चोल राजाओं ने किस धर्म को संरक्षण प्रदान किया शैवधर्म को
  48. ‘विचित्र चित्त’ की उपाधि किस पल्लव वंश के शासक ने धारण की  महेंद्र वर्मन II
  49. चोलवंश का संस्थापक विजयपाल पहले किसका सामंत था पल्लवों को
  50. ‘शृंगार्थ दीपिका’ की रचना किसने की  वेंकट माधव ने
  51. तैलप II ने किस नदी में आत्महत्या की थी  तुंगभद्र नदी में

पूर्व मध्यकालीन भारत (उत्तर भारत)संपादित करें

  1. राजपूत काल कब से कब तक माना जाता है  छठी सदी से बारहवीं सदी तक
  2. 712 ई. में सिंध पर मोहम्मद बिन कासिम के आक्रमण के समय वहाँ का शासक कौन था  दाहिर
  3. सर्वप्रथम जजिया कर लगाने का श्रेय किसे दिया जाता है मोहम्मद बिन कासिम
  4. ‘दिल्लिका’ किसका पुराना नाम है  दिल्ली का
  5. ‘पृथ्वीराजरासों’ की रचना किसने की  चंद्रबरदई ने
  6. प्रसिद्ध दिलवाड़ा जैन मंदिर कहाँ स्थित है  माउंट आबू पर
  7. खजुराहो में स्थित मंदिरों का निर्माण किसने कराया  चंदेल शासकों ने
  8. विजय स्तंभ कहाँ स्थित है  चित्तौड़गढ़
  9. महमूद गजनवी ने भारत पर कितनी बार आक्रमण किये 17 बार
  10. महमूद गजनवी का प्रसिद्ध आक्रमण कौन-सा था सोमनाथ मंदिर पर आक्रमण
  11. मुहम्मद गजनवी ने गुजरात के प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर को कब लूटा  1206 ई.
  12. सोमनाथ मंदिर पर मुहम्मद गजनवी के आक्रमण के समय गुजरात का शासक कौन था  भीमदेव I
  13. किस नाटक के कुछ अंश ‘अढ़ाई दिन का झोपड़ा’ नामक मस्जिद पर लिखे हैं  हरिकेलि
  14. रानी पद्मनी का नाम खिलजी की चित्तौड़ विजय से जोड़ा जाता है। रानी पद्मनी किसकी पत्नी थीं  राणा रतन सिंह
  15. विक्रमशिला विश्वविद्यालय की स्थापना की  धर्मपाल
  16. ‘गीत गोविंद’ किसने लिखी  जयदेव
  17. जयदेव किसकी सभा को अलंकृत करते थे  लक्ष्मण सेन
  18. किसने सोमपुर महाविहार का निर्माण कराया  धर्मपाल
  19. भारत पर सर्वप्रथम अरब आक्रमण किसने किया  मुहम्मद बिन कासिम
  20. जगन्नाथ मंदिर किस राज्य में है  ओड़िशा
  21. कोणार्क में स्थित सूर्य देव मंदिर के संस्थापक कौन थे नरसिंह I
  22. ब्लैक पगोड़ा कहाँ स्थित है  कोणार्क में
  23. ‘अलवर’ के संस्थापक कौन थे  अजय पाल
  24. किय शासक के दरबार में जैन आचार्य हेमचंद्र को संरक्षण मिला  जय सिंह (सिद्धराज)
  25. चंदावर का युद्ध किस-किस के मध्य हुआ  जयचंद और मोहम्मद गौरी
  26. लिंगराज मंदिर कहाँ स्थित है  भुवनेश्वर में
  27. लिंगराज मंदिर की नींव किसने डाली  ययाति केसरी ने
  28. बंगाल के पाल वंश का संस्थापक कौन था  गोपाल
  29. किस पाल शासक को गुजराती कवि सोडढल ने ‘उत्तरापथ स्वामिन’ कहा  धर्मपाल
  30. हिंदू विधि की प्रसिद्ध पुस्तक ‘दायभाग’ की रचना किसने की जीमूतवाहन
  31. ‘रामचरित’ की रचना किसने की  संध्याकर नंदी ने
  32. प्रतिहार राजवंश की स्थापना किसने की  हरिश्चंद्र ने
  33. मिहिर भोज का पुत्र कौन-था  महेंद्रपाल
  34. ‘काव्यमीमांसा’ नामक ग्रंथ किसने लिखा  राजशेखर ने
  35. तोमर वंश का संस्थापक कौन था  राजा अनंगपाल
  36. किस शासक को ‘रायपिथौरा’ कहा जाता है  पृथ्वीराज चौहान को
  37. कायस्थों का एक जाति के रूप में प्रथम उल्लेख कहाँ मिलता है  ओशनम स्मृति में
  38. हिंदू विधि पर ‘मिताक्षरा’ नामक पुस्तक किसने लिखी विज्ञानेश्वर ने
  39. राजस्थान के इतिहास का प्रणेता किसे माना जाता है कर्नल टॉड़
  40. सेन वंश की स्थापना किसने की  सामंत सेन ने
  41. ‘समरांगण सूत्रधार’ विषय किससे संबंधित है  स्थापत्य शास्त्र से
  42. तराइन का प्रथम युद्ध कब हुआ  1191 ई.
  43. तराइन का प्रथम युद्ध किस-किस के बीच हुआ  पृथ्वीराज चौहान व मोहम्मद गौरी
  44. तराइन का दूसरा युद्ध कब हुआ  1192 ई.
  45. तराइन के द्वितीय युद्ध में किसकी पराजय हुई  पृथ्वीराज चौहान की
  46. भारत पर प्रथम तुर्क आक्रमण किसने किया  महमूद गजनवी के पिता सुबुक्तगीन ने
  47. महमूद गजनवी ने प्रथम आक्रमण किस राज्य के विरुद्ध किया था  हिंदूशाही
  48. हिंदूशाही राज्य की राजधानी कहाँ थी  उदभांडपुर/ओहिंद
  49. महमूद गजनवी का राजदरबारी कवि कौन था  फिरदौसी
  50. ‘शहनामा’ के रचियता कौन है  फिरदौसी
  51. महमूद गजनवी के आक्रमण के फलस्वरूप कौन-सा शहर फारसी संस्कृति का केंद्र बना  लाहौर
  52. वाहिंद का युद्ध कब व किस-किस के बीच लड़ा गया महमूद गजनवी व आनंदपाल
  53. मोहम्मद गौरी किस वंश का शासक था  शंसवनी
  54. मोहम्मद गौरी ने 1175 ई. में भारत पर पहला आक्रमण किस राज्य के विरुद्ध किया  मुल्तान



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