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Excerpts from Swaraj ( A Book of Arvind Kejriwal)
केजरीवाल की बुक स्वराज मेँ जनतंत्र की उत्पत्ति के सम्बन्ध में एक कहानी (कहा गया है कि जनतंत्र अंग्रेजो की देन नहीं , वस्तुत यह भारत में
पहले भी था और यह बुद्ध के जमाने से चला आ रहा है ) :-
एक वैशाली के राजा के यहाँ जन सभा चल रहीं थी , सारे नगर के लोग व राजा बैठें हुए थे ।
कुछ व्यक्ति एक लड़की की इशारा करके कहते हैं कि आप हमारे नगर की नगर वधू बन जाइए । वो लङकी कहती है ठीक है , मेँ
नगर वधू बन जाऊंगी लेकिन मेरी एक शर्त है मुझे राज़ा का राजमहल चाहिए । अगर आप मुझे राजमहल दे दें तो मे नगर कि नगर वधु बनने के लिये तैयार हूँ ।
वहां पर प्रस्ताव रखा जाता है कि आज से इस राजा का राजमहल उस लड़की का हुआ ।
राजा वहीँ बैठा हुआ था और सब कुछ सुन रहा था । वो सकपका जाता है , बेचैन होता है और कहता है - "ऐसा कैसे हुआ , ये तो मेरा राजमहल है ।
आप मेरा राजमहल इस लड़की को कैसे दे सकते हैं ?"
तो जनता कहती है = ये आपका राजमहल नहीं है । ये राजमहल हम लोगों ने आपको दिया है । हमारे पैसे से यह राजमहल बना ।
आज इस देश की जनता ये राजमहल वापस ले कर इस लड़की को दे रहीं है ।
अगर आपको राजमहल चाहिए तो आप अपने लिये दूसरा राजमहल बनवा लीजीए
और इस प्रकार राजा को राजमहल खाली करना पड़ा और अपने लिये दूसरा राजमहल बनवाना पङा ।
किसी लड़की को नगर वधू बनाना गलत प्रथा है , लेकिन उस समय की राजनीती में जनता की ताकत का अंदाजा हम इस उदाहारण से लगा सकते हैं ।
हमारे देश के राष्ट्रपति के पास इतना बड़ा बंगला है । दिल्ली के बीचो बीच 340 एकड़ जमीन पर राष्ट्रपति का बंगला है । और देश की 40 फीसदी आबादी
झुग्गी झोपड़ी में कुलबुला रही है । कीड़े मकोड़ों की तरह रहती है ।
दो गज जमीन नहीं है उनके पास सोने के लिये ।
अगर हम लोग प्रस्ताव पास करें कि हमारे देश के राष्ट्रपति को छोटे बंगले में चले जाना चाहिए ,
तो आपको क्या लगता है वह मानेंगे ?
बिलकुल नहीं मानने वाले
नई दिल्ली में अफसरों के , मंत्रियों के इतने बड़े बड़े बंगले हैं । एक मियां बीवी इतने बड़े बंगले में रहते हैं ।
अगर हम इन सारे अफसरों और नेताओं को कहें कि आप थोड़े छोटे बंगले में चले जाओ ताकि दिल्ली की जनता को पांव पसारने की जमीन मिल जाये ,
तो क्या वो बंगले खाली करंगे ? नहीं करेंगे
***************************
ऊपर दी गई कहानी'और विचार को केजरीवाल ने अपनी पुस्तक स्वराज में दिया है , जबकि केजरीवाल खुद हकीकत में क्या कर रहे हैँ उससे पता चलता है की उनकी कथनी और करनी में बहुत अन्तर है
जब केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री बने तो खुद अपने लिए बंगला बनवाने दौङ पङे
http://timesofindia.indiatimes.com/city/delhi/Arvind-Kejriwal-had-sought-two-5-bedroom-houses-documents-show/articleshow/29873789.cms ( Arvind Kejriwal had sought two 5-bedroom houses, documents show)
और आज जब की वह मुख्यमंत्री नहीं हैं तब भी दिल्ली का बंगला अपने पास रखे हुए हैं
http://www.ndtv.com/article/cities/arvind-kejriwal-moves-into-his-new-house-in-delhi-478235 (Arvind Kejriwal moves into his new house in Delhi)
http://www.ndtv.com/article/cities/delhi-arvind-kejriwal-overstays-in-official-bungalow-492431
http://www.ndtv.com/article/cities/delhi-arvind-kejriwal-allowed-to-live-in-government-house-till-july-501595
MUST READ STORY FREOM ARVIND KEJRIWAL's BOOK SWARAJ
Excerpts from Swaraj ( A Book of Arvind Kejriwal)
केजरीवाल की बुक स्वराज मेँ जनतंत्र की उत्पत्ति के सम्बन्ध में एक कहानी (कहा गया है कि जनतंत्र अंग्रेजो की देन नहीं , वस्तुत यह भारत में
पहले भी था और यह बुद्ध के जमाने से चला आ रहा है ) :-
एक वैशाली के राजा के यहाँ जन सभा चल रहीं थी , सारे नगर के लोग व राजा बैठें हुए थे ।
कुछ व्यक्ति एक लड़की की इशारा करके कहते हैं कि आप हमारे नगर की नगर वधू बन जाइए । वो लङकी कहती है ठीक है , मेँ
नगर वधू बन जाऊंगी लेकिन मेरी एक शर्त है मुझे राज़ा का राजमहल चाहिए । अगर आप मुझे राजमहल दे दें तो मे नगर कि नगर वधु बनने के लिये तैयार हूँ ।
वहां पर प्रस्ताव रखा जाता है कि आज से इस राजा का राजमहल उस लड़की का हुआ ।
राजा वहीँ बैठा हुआ था और सब कुछ सुन रहा था । वो सकपका जाता है , बेचैन होता है और कहता है - "ऐसा कैसे हुआ , ये तो मेरा राजमहल है ।
आप मेरा राजमहल इस लड़की को कैसे दे सकते हैं ?"
तो जनता कहती है = ये आपका राजमहल नहीं है । ये राजमहल हम लोगों ने आपको दिया है । हमारे पैसे से यह राजमहल बना ।
आज इस देश की जनता ये राजमहल वापस ले कर इस लड़की को दे रहीं है ।
अगर आपको राजमहल चाहिए तो आप अपने लिये दूसरा राजमहल बनवा लीजीए
और इस प्रकार राजा को राजमहल खाली करना पड़ा और अपने लिये दूसरा राजमहल बनवाना पङा ।
किसी लड़की को नगर वधू बनाना गलत प्रथा है , लेकिन उस समय की राजनीती में जनता की ताकत का अंदाजा हम इस उदाहारण से लगा सकते हैं ।
हमारे देश के राष्ट्रपति के पास इतना बड़ा बंगला है । दिल्ली के बीचो बीच 340 एकड़ जमीन पर राष्ट्रपति का बंगला है । और देश की 40 फीसदी आबादी
झुग्गी झोपड़ी में कुलबुला रही है । कीड़े मकोड़ों की तरह रहती है ।
दो गज जमीन नहीं है उनके पास सोने के लिये ।
अगर हम लोग प्रस्ताव पास करें कि हमारे देश के राष्ट्रपति को छोटे बंगले में चले जाना चाहिए ,
तो आपको क्या लगता है वह मानेंगे ?
बिलकुल नहीं मानने वाले
नई दिल्ली में अफसरों के , मंत्रियों के इतने बड़े बड़े बंगले हैं । एक मियां बीवी इतने बड़े बंगले में रहते हैं ।
अगर हम इन सारे अफसरों और नेताओं को कहें कि आप थोड़े छोटे बंगले में चले जाओ ताकि दिल्ली की जनता को पांव पसारने की जमीन मिल जाये ,
तो क्या वो बंगले खाली करंगे ? नहीं करेंगे
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ऊपर दी गई कहानी'और विचार को केजरीवाल ने अपनी पुस्तक स्वराज में दिया है , जबकि केजरीवाल खुद हकीकत में क्या कर रहे हैँ उससे पता चलता है की उनकी कथनी और करनी में बहुत अन्तर है
जब केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री बने तो खुद अपने लिए बंगला बनवाने दौङ पङे
http://timesofindia.indiatimes.com/city/delhi/Arvind-Kejriwal-had-sought-two-5-bedroom-houses-documents-show/articleshow/29873789.cms ( Arvind Kejriwal had sought two 5-bedroom houses, documents show)
और आज जब की वह मुख्यमंत्री नहीं हैं तब भी दिल्ली का बंगला अपने पास रखे हुए हैं
http://www.ndtv.com/article/cities/arvind-kejriwal-moves-into-his-new-house-in-delhi-478235 (Arvind Kejriwal moves into his new house in Delhi)
http://www.ndtv.com/article/cities/delhi-arvind-kejriwal-overstays-in-official-bungalow-492431
Delhi: Arvind Kejriwal overstays in official bungalow
http://www.ndtv.com/article/cities/delhi-arvind-kejriwal-allowed-to-live-in-government-house-till-july-501595
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